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वर्ल्ड वार-2, वह जंग जो इंसानियत की सबसे बड़ी खूनी कहानी है. इस जंग में पूरी दुनिया दो हिस्सों, धुरी देश (जर्मनी, जापान और इटली) और मित्र देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ) के खेमे में बंट गई. 6 साल चले युद्ध में तकरीबन सात से आठ करोड़ लोगों की मौत हुई, इतने ही लोग घायल हुए. खरबों की संपत्ति जिसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता, नष्ट हो गई.
एक सितंबर 1939. यही वह तारीख थी, जब सबसे बड़ी इंसानी त्रासदी शुरू हुई थी. इस दिन ब्रिटेन और फ्रांस के जबरदस्त विरोध के बावजूद, जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया. पूरे 27 दिन बाद पोलैंड की राजधानी वारशॉ पर जर्मनी कब्जा करने में कामयाब रहा.
पहले विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के साथ नाइंसाफी भरा समझौता, लीग ऑफ नेशंस का फेल होना, ब्रिटेन का जर्मनी के शुरूआती कारनामों को नजरंदाज करना, दुनियाभर की बड़ी शक्तियों के आपसी टकराव, साम्राज्यवाद जैसे दसियों कारण इस जंग की शुरूआत की वजह थे.
लेकिन इन सब की चर्चा फिर कभी. अभी हम आपको उस तानाशाह के बारे में बताएंगे जो करोड़ों लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार था.
सेना के बाद उसने ‘जर्मन वर्कर्स पार्टी’ ज्वाइन कर ली. यहीं से उसकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई. ‘जर्मन वर्कर्स पार्टी’ ही बाद में नाजी पार्टी बनी. 1921 तक बदलते हालातों के बीच इस पार्टी की लीडरशिप हिटलर के हाथ आ गई.
1923 में बावेरिया(जर्मनी का ही एक भाग) में इमरजेंसी घोषित कर दी गई. इससे म्यूनिक शहर के सारे अधिकार पुलिस चीफ गुस्ताव वॉन क्हर के पास आ गए. इस बीच हिटलर की नाजी पार्टी ने पूरे शहर में सभा करने ऐलान कर दिया. इससे उनका पुलिस चीफ के साथ सीधा टकराव होना स्वाभाविक हो गया.
1920 के दौर में जर्मनी के बड़े शहरों में बियर क्लब हुआ करते थे. इनमें लोगों का जमावड़ा होता था और ये राजनीतिक विमर्श की जगह भी हुआ करते थे. इन्हीं में से एक था बर्गरब्राउकेलर क्लब.
8 नवंबर को गुस्ताव, बर्गरब्राउकेलर बियर हाल में 3000 लोगों के सामने स्पीच दे रहा था. इसी दौरान 600 लोगों के साथ हिटलर ने गोली-बंदूक लेकर हाल को घेर लिया. उसने घोषणा की, कि अब नई सरकार बनाई जाएगी. हिटलर के भाषण के दौरान ही कई लोगों उसकी तरफ आ गए. इसके बाद हिटलर मंत्रालय पर कब्जा करने निकल गया.
लगभग 2000 लोगों के साथ हिटलर बावेरिया के रक्षा मंत्रालय की ओर बढ़ा. मंत्रालय के सुरक्षाकर्मियों (जिनमें पुलिस वाले भी शामिल थे) और नाजियों के बीच गोलीबारी हुई. इसमें 16 नाजी और 4 पुलिस वालों की मौत हो गई. हिटलर भी हमले में बाल-बाल बचा. वह अपने मंसूबे में भी कामयाब नहीं हो पाया.
हिटलर आजाद हुआ, आर्थिक परेशानियों से त्रस्त और राष्ट्रवादी भावनाओं के उफान से लबरेज जर्मन जनता को उग्र हिटलर में अपने दुखों का दूर करने वाला मसीहा दिखाई दिया. हिटलर बड़े जनसमर्थन से पहले चांसलर बना. उसके बाद संविधान और संसद को कमजोर करते हुए तानाशाह बन बैठा.
हिटलर के मन में यहूदियों के लिए शुरू से ही घृणा का भाव था. यहूदियों को पहले छोटी-छोटी बातों पर निशाना बनाया, शुरूआत में उन्हें बदनाम कर जर्मन विरोधी बताया गया. हिटलर का ‘आर्यनों की नस्लीय शुद्धता’ का भूत लगातार चढ़ता ही गया. 1935 में जर्मनी में यहूदी विरोधी ‘न्यूरेमबर्ग कानून’ पास किया गया.
पर यहूदियों के लिए सबसे बुरा दौर आना बाकी था. दूसरे विश्व युद्ध के बीच 1941 में यहूदियों का नरसंहार शुरू हुआ. जर्मनी की पूरी ब्यूरोक्रेसी इनके सिस्टमेटिक मर्डर में लग गई. पहले फायरिंग स्कवॉड का इस्तेमाल किया गया.
पोलैंड में सबसे बड़े और खतरनाक कैंप लगाए गए. फ्राइट ट्रेनों में भर-भरकर लोगों को कैंपों में पहुंचाया जाने लगा. यहां उन्हें गैस चेंबरों में भेड़-बकरियों की तरह भर दिया जाता. मारने से पहले इन लोगों के चप्पल-जूते और कपड़े भी उतरवा लिए जाते.
लेकिन आखिर में हर बुराई का खात्मा होता ही है. रूस पर हमला करने की जर्मनी की रणनीति खतरनाक साबित हुई. ऊपर से अमेरिका के दबाव और ब्रिटेन पर जीत की असफल कोशिशों ने जर्मनी को हार की तरफ मोड़ दिया.
1945 में जर्मनी की हार हुई. मित्र देशों की जीत हुई. जब मित्र देशों की सेना बर्लिन में दाखिल हो रही थी, हिटलर अपने साम्राज्य को ढ़हता हुआ देख रहा था. आखिरकार उसने कायरता दिखाई और करोड़ों लोगों के हत्यारे ने खुद के शरीर में गोली उतारकर मुक्ति पा ली.
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