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13 जुलाई को साल का दूसरा सूर्यग्रहण पड़ रहा है. हालांकि भारत के किसी भी भाग में ये नजर नहीं आएगा.
सूर्यग्रहण करीब 2 घंटे 25 मिनट तक रहेगा. ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कुछ देशों में ये ग्रहण सुबह 7 बजे से करीब पौने 10 बजे तक दिखाई देगा.
बता दें कि इसके बाद 11 अगस्त को साल का तीसरा सूर्यग्रहण होगा.
सूर्यग्रहण क्या होता है और क्यों होता है? सूर्यग्रहण के पहले आपको किन-किन बातों का खयाल रखना चाहिए, आगे देखिए इन सवालों के जवाब.
पृथ्वी अपनी धुरी पर धूमने के साथ-साथ सौरमंडल का भी चक्कर लगाती है. वहीं पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा भी पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है. इसी प्रक्रिया में जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो सूर्यग्रहण होता है. सूर्यग्रहण में सूर्य थोड़ा हिस्सा या पूरा हिस्सा ढक जाता है. इसी घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं
भारत में सूर्यग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. सूर्य को भगवान मानने वाले इस देश में सूर्यग्रहण के दिन पूजा, दान-दक्षिणा और स्नान की मान्यताएं हैं.
सूर्यग्रहण को धर्म-कर्म से जोड़कर देखने वाले लोग राशियों पर इसके ‘असर’ को बेहद गंभीरता से लेते हैं. साथ ही कुछ लोग इस घटना का प्रभाव जानने के लिए ज्योतिषियों की भी मदद लेते हैं.
नासा के मुताबिक, किसी भी तरह के ग्रहण का ऑब्जर्वेशन करीब 5 हजार साल पहले शुरू हुआ था. सभी सभ्यताओं के अपने तौर तरीके थे. चीन में कहा जाता था कि कोई आकाशीय ड्रैगन सूरज को खा जाता है. चंद्रग्रहण में चांद को निगल जाता है. इसी आधार पर राजा के शासन की भविष्यवाणी भी की जाती थी.
ग्रहणों के बारे में फिजिकल रिकॉर्ड रखने की शुरुआत बेबिलोन से मिलती है. यहां 518 से 465 BC के बीच लोगों ने खगोलीय घटनाओं का ब्योरा फिजिकल रिकॉर्ड के तौर पर तैयार किया.
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