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श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) के बीच तेजी से घटनाक्रम बदल रहे हैं. इस समय श्रीलंका की नाव भंवर में फंसी हुई है. देश में अब राजनीतिक संकट भी गहरा गया है. महिंद्रा राजपक्षे सरकार अल्पमत में आ गई है.
देश की राजधानी कोलंबो में पर्यटन उद्योग को बचाने के लिए शेफ्स गिल्ड के सदस्य सड़क पर उतर गए हैं, तो वहीं, श्रीलंकाई सरकार ने नार्वे और इराक का दूतावास बंद करने की घोषणा की है.
दरअसल, 225 सदस्यीय वाली श्रीलंका की संसद में सत्ताधारी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना पार्टी (SLPP) के पास 117 सांसद हैं, जबिक उनकी सहयोगी पार्टी SLFP के पास 15 सदस्य हैं. वहीं, इस गठबंधन के साथ 10 दलों के 14 अन्य सांसद शामिल हैं.
श्रीलंका के नए वित्त मंत्री अली साबरी ने अपनी नियुक्ति के एक दिन बाद ही यानी मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया. बता दें, एक दिन पहले ही राष्ट्रपित गोटबाया राजपक्षे ने अपने भाई बेसिल राजपक्षे को बर्खास्त कर साबरी को नियुक्त किया था. साबरी सोमवार को उन चार मंत्रियों में शामिल थे जिनको राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे नियुक्त किया था.
श्रीलंकाई सरकार ने ये घोषणा की है कि आने वाले 30 अप्रैल से नार्वे और इराक के दूतावास को बंद कर दिया जाएगा. इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया स्थित वाणिज्यक दूतावास भी 30 अप्रैल से बंद हो जाएगा.
श्रीलंका के शेफ गिल्ड के सदस्यों ने कोलंबो में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. शेफ्स गिल्ड ऑफ श्रीलंका के चेयरमैन ने कहा कि हम यहां पर्यटन उद्योग में कई हितधारकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए हैं जो प्रभावित हुए हैं. हमें देश में पर्यटन उद्योग को बचाने की जरूरत है.
श्रीलंकाई प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि देश में आर्थिक संकट आया है जिससे भोजन, ईंधन और दवाओं की कीमत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है ऐसे में राष्ट्रपति को इस्तीफा दे देना चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में इंडिपेंडेंस मेमोरियल हॉल और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर इकट्ठा होकर राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की.
बता दें, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को छोड़कर कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. यहां तक कि महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे ने भी अपने सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया है.
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