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एडमिशन का सीजन चल रहा है. देश के नामी-गिरामी संस्थानों में सीटें कम हैं और कैंडिडेट ज्यादा. अच्छे पर्सेंटेज हासिल करने के बावजूद कई बार स्टूडेंट का दाखिला मनपसंद इंस्टीट्यूट या कोर्स में नहीं हो पाता है. ऐसे में विदेश की तरफ रुख करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
अगर आप भी विदेश से डिग्री हासिल करने के बारे में प्लान कर रहे हैं, तो ये ट्रेंड जानना आपके लिए बेहतर रहेगा पिछले कुछ सालों में कौन-कौन से देश भारतीय छात्रों की प्रायोरिटी लिस्ट में है और क्यों?
वैसे भी विदेश जाकर पढ़ने का चलन भारत में और पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है. हर साल लाखों की तादाद में भारतीय स्टूडेंट डिग्री हासिल करने के लिए विदेशी संस्थानों की तरफ रुख करते हैं.
सीनियर करियर कंसल्टेंट अशोक सिंह के मुताबिक, भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ाई करने के लिए उन देशों को चुनना पसंद करते हैं, जहां अंग्रेजी में पढ़ाई होती है. ऐसे में स्टूडेंट की प्रायोरिटी लिस्ट में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर जैसे देश सबसे ऊपर हैं.
चीन, रूस और जर्मनी जैसे देशों में वहां की लोकल भाषा में पढ़ाई होती है. इस वजह से इंडियन स्टूडेंट ऐसे देशों को लिस्ट में नीचे ही रखते हैं.
करियर काउंसलर जुबिन मल्होत्रा के मुताबिक, "कई रिपोर्ट में ये देखा गया है कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आई है. बावजूद इसके आज भी भारत के सबसे अधिक छात्र अमेरिका में ही पढ़ाई कर रहे हैं. अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के प्रति भारतीय छात्रों का क्रेज कम नहीं हुआ है, लेकिन फीस अधिक होने के वजह से भारतीय छात्र कुछ और देशों की तरफ रुख कर रहे हैं."
पिछले कुछ सालों में कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है. कनाडा में पिछले साल तक कुल एक लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे. दरअसल अमेरिका की तुलना में कनाडा में कोर्स फीस और रहने का खर्च कम है.
कनाडा के अलावा ऑस्ट्रेलिया भी भारतीय स्टूडेंट के लिए बेहतरीन एजुकेशन हब के रूप में उभर कर सामने आया है. मेलबॉर्न यूनिवर्सिटी और सिडनी यूनिवर्सिटी जैसी ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के लिए काफी भारतीय छात्र हर साल अप्लाई करते हैं.
हायर एजुकेशन और टेक्निकल डिग्री के लिए न्यूजीलैंड की तरफ रुख करना भारतीय छात्रों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. यहां की प्रमुख यूनिवर्सिटी अच्छी टेक्निकल एजुकेशन के लिए दुनियाभर में फेमस है. संख्या के लिहाज से भारतीय छात्रों के लिए यह चौथा सबसे पसंदीदा देश है.
ब्रिटिश विश्वविद्यालय कुछ साल पहले तक भारतीय छात्रों की टॉप लिस्ट में था. लेकिन पिछले कुछ सालों से इस संख्या में लगातार कमी आ रही है.
ब्रिटिश काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2010 में 68 हजार से ज्यादा भारतीय छात्रों ने ब्रिटेन में एडमिशन के लिए आवेदन किया था, जबकि साल 2015 में यह घटकर 11 हजार 864 रह गया. वहीं साल 2017 तक ब्रिटेन में पढ़ने वाले कुल भारतीय छात्रों की संख्या महज 14,830 थी.
सीनियर करियर कंसल्टेंट अशोक सिंह का कहना है कि भारतीय छात्र विदेशी यूनिवर्सिटी से टेक्निकल कोर्स करना ज्यादा पसंद करते हैं. बैचलर लेवल पर जहां टेक्निकल और मेडिकल कोर्स को प्राथमिकता देते हैं, वहीं मास्टर लेवल पर साइंस, एमबीए और रिसर्च से जुड़े कोर्स इनकी प्रायोरिटी लिस्ट में होती है. भारतीय छात्र ह्यूमैनिटीज और कॉमर्स से जुड़े कोर्स विदेशी यूनिवर्सिटी से करना पसंद नहीं करते.
विदेश में पढ़ाई के लिए जाने से पहले वहां के खर्च के बारे में जान लेना भी जरूरी है. भारत की तुलना में विदेशों में पढ़ाई महंगी पड़ेगी. कोर्स फीस और रहने की बात करें तो अमेरिका और ब्रिटेन सबसे महंगे देशों में शुमार है. इन देशों में सालाना 25 से 50 लाख रुपये तक का खर्च आता है.
बाकी देशों में इससे कुछ कम पैसे में भी आप डिग्री हासिल कर सकते हैं. अधिकांश विदेशी यूनिवर्सिटी भारतीयों छात्रों के लिए कई तरह के स्कॉलरशिप भी देती है. अगर आप ये पाने में सफल हो जाते हैं तो आप कम खर्च में वहां रह सकते हैं. अच्छी यूनिवर्सिटी में दाखिला मिलने पर आपको बैंक से लोन भी मिल सकता हैं, वहीं विदेश में पढ़ने वाले काफी भारतीय छात्र पार्ट टाइम जॉब का ऑप्शन भी चुनते हैं.
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