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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने वार्षिक नववर्ष की पूर्व संध्या संबोधन में अपना दावा दोहराया कि ताइवान "निश्चित रूप से चीन के साथ फिर से एकीकृत होगा". जिनपिंग का ये संदेश ताइवान में 13 जनवरी में होने वाले चुनावों से पहले आया है, जो अगले चार वर्षों के लिए द्वीप की क्रॉस-स्ट्रेट नीति का निर्धारण करेगा.
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, जिनपिंग ने पिछले साल के संदेश की तुलना में भी अधिक कड़ा रुख अपनाया, जहां उन्होंने ताइवान को "एक ही परिवार" का हिस्सा होने की बात कही थी. चुनाव से पहले चीन ने ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ा दिया है.
चीन 23 मिलियन की आबादी वाले स्व-शासित द्वीप को एक अलग प्रांत के रूप में देखता है जो अंततः बीजिंग के नियंत्रण में होगा. ताइवान अपने संविधान और लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए नेताओं के साथ खुद को चीनी मुख्य भूमि से अलग मानता है.
वहीं, ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने अपने नए साल के संबोधन में कहा कि चीन के साथ द्वीप के संबंध "ताइवान के लोगों की इच्छा" से तय होने चाहिए. उनकी सरकार ने बार-बार चेतावनी दी है कि बीजिंग चुनाव में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है, जहां एक नया राष्ट्रपति और सरकार चुनी जाएगी.
ताइवान की कुओमितांग पार्टी (केएमटी) पारंपरिक रूप से बीजिंग के साथ मधुर संबंधों की पक्षधर रही है. हालांकि, वह चीन समर्थक होने से इनकार करती है. केएमटी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी, त्साई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) ने पिछले आठ वर्षों से ताइवान पर शासन किया है और चीन के प्रति एक मजबूत रुख अपनाती है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि यह संप्रभु है और चीन का हिस्सा नहीं है.
शी का ताजा बयान एकीकरण के प्रति चीन की दीर्घकालिक नीति के अनुरूप हैं, लेकिन यह संदेश शी द्वारा पिछले साल दिए गए संदेश की तुलना में अधिक कठोर है, जहां उन्होंने "ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों के लोगों को एक ही परिवार के सदस्य" कहा था.
ताइवान के मुद्दे ने अमेरिका और चीन के बीच संबंधों को भी तनावपूर्ण बना दिया है, चीन ने ताइपे के लिए वाशिंगटन के किसी भी कथित समर्थन की निंदा की है. बीजिंग ने कहा है कि वह शांतिपूर्ण एकीकरण में हस्तक्षेप करने वाली बाहरी ताकतों के खिलाफ "सभी आवश्यक उपाय करने का विकल्प सुरक्षित रखता है".
रॉयटर्स के अनुसार, चीनी राज्य मीडिया आउटलेट सीसीटीवी का हवाला देते हुए, शी ने कहा कि "आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और जीत सहयोग का पालन करना, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए बातचीत करने का सही तरीका है".
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