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चीन और ताइवान के राष्ट्रपति चीनी क्रांति खत्म होने के 65 साल बाद इस वीकेंड में पहली बार मिलेंगे. इन दोनों देशों के बीच शीत युद्ध की दुश्मनी खत्म होते-होते कई साल लग गए.
दस साल पहले तक ये सोच पाना भी कठिन था कि कभी चीन और ताइवान के बीच कभी ऐसी कोई मीटिंग हो पाएगी. दोनों देशों के लिए ये एक ऐतिहासिक क्षण होगा जिनकी दुश्मनी देखकर कहा जाता था कि ये तीसरे विश्व युद्ध का कारण हो सकता है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके ताइवानी समकक्ष मा यिंग जीओ सिंगापुर में मुलाकात करेंगे. सिंगापुर इसलिए क्योंकि ये दोनों देशों का मित्र देश है.
ऐसा नहीं है कि ये कर पाना दोनों देशों के लिए आसान था. चीन के साथ दोस्ताना रवैया रखने की वजह से ताइवान के राष्ट्रपति मा यिंग जीओ की छवि को अपने ही देश में नुकसान पहुंचा है.
मा, सेना के इस्तेमाल और बेहतर आर्थिक संबंधों पर शी से आश्वासन की उम्मीद कर रहे हैं ताकि आगामी चुनाव में राष्ट्रपति पद के राष्ट्रवादी उम्मीदवार एरिक चू को मदद मिल सके.
दूसरी तरफ शी भी एक दोस्ताना और शांतिपूर्ण बैठक की उम्मीद है, जो राष्ट्रवादियों को बढ़ावा दे सके और चीनी घरेलू दर्शकों को दिखा सकें की संबंध सुधारने की दशकों पुरानी कोशिश में वही सबसे कामयाब रहे हैं.
असल में ये बैठक ये भी साबित करने के लिए है कि ताइवान की राष्ट्रवादी पार्टी चीन से निपटने में कामयाब रही है.
(समाचार एजेंसी AP से इनपुट के साथ)
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