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न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, तालिबान (Taliban) के संस्थापकों में से एक, मुल्ला नूरुद्दीन (Mullah Nooruddin Turabi) तुराबी ने कहा है कि तालिबान एक बार फिर से फांसी और हाथों काटने जैसे दंडों को अंजाम देगा, लेकिन शायद सार्वजनिक रूप से नहीं.
1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान, तुराबी न्याय मंत्री हुआ करते थे. वो 'वाइस ऑफ प्रिवेंशन' के प्रमुख थे और इस्लामी कानून की कठोरता से लागू करवाते थे. उस दौरान काबुल के खेल स्टेडियम में कई बार सैकड़ों अफगान पुरुषों के सामने फांसी दी जाती थी.
मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने कहा कि,
तुराबी ने कहा कि "सुरक्षा के लिए हाथ काटना बहुत जरूरी है," इसके प्रभाव के चलते कैबिनेट विचार कर रही है कि क्या दंड सार्वजनिक रूप से आयोजित किया जाना चाहिए.
तालिबान ने पहले से ही एक पुरानी सजा को फिर से बहाल कर दिया है- छोटे समय की चोरी करने वाले पुरुषों की सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी.
1980 के दशक में सोवियत संघ से लड़ते हुए एक पैर और एक आंख गंवाने वाला तुराबी जेलों का भी प्रभारी है और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में भी है.
1996 में, सत्ता संभालने के बाद, तुराबी ने एक महिला पत्रकार पर चिल्लाकर कहा था कि वह पुरुषों से भरा कमरा छोड़ दे और फिर उस व्यक्ति को थप्पड़ मार दिया जिसने इसका विरोध किया था.
एक महिला पत्रकार से बात करते हुए उसने कहा, 'हम अतीत से बदल गए हैं. मीडिया के जरिए सैकड़ों के बजाय लाखों तक पहुंचा जा सकता है. तुराबी ने कहा कि तालिबान अब टेलीविजन, मोबाइल फोन, फोटो और वीडियो की अनुमति देगा "क्योंकि यह लोगों की आवश्यकता है, और हम इसके बारे में गंभीर हैं."
उसने कहा कि अगर तालिबान ने सजा को सार्वजनिक करने का फैसला किया है, तो लोगों को उन्हें रिकॉर्ड करने या फोटो लेने की अनुमति दी जा सकती है ताकि ये ज्यादा प्रभावशाली हो.
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