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बिलकिस, मोदी के अलावा इन 3 भारतीयों ने भी बनाई Time लिस्ट में जगह 

भारतीय मूल के बायोलॉजिस्ट प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता भी टाइम्स पत्रिका की लिस्ट में शामिल है

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टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट जारी हो चुकी है. इस बार लिस्ट में भारत की पांच हस्तियां शामिल हैं. टाइम मैगजीन की ओर से सालाना जारी की जाने वाली इस लिस्ट में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हुए दुनिया को प्रभावित करने वाले लोगों को शामिल किया जाता है. आइए जानते है कि वे कौन भारतीय हैं जिन्हें इस लिस्ट में खास जगह बनाई है.

प्रधानमंत्री मोदी फिर लिस्ट में शामिल, टाइम ने की तल्ख टिप्पणी

पहला नाम आता है प्रधानमंत्री मोदी का जो लगातार चौथी बार इस सूची में शामिल हुए हैं. मोदी भारत के एकमात्र नेता हैं, जिन्हें इस प्रतिष्ठित सूची में जगह मिली है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग के अलावा पीएम मोदी उन दो दर्जन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें इस लिस्ट में शामिल किया गया है.

मोदी के बारे में टाइम मैगजीन के एडिटर कार्ल विक ने लिखा है कि भारत के ज्‍यादातर प्रधानमंत्री करीब 80 फीसदी आबादी वाले हिंदू समुदाय से आए हैं. लेकिन एकमात्र मोदी ही ऐसे हैं जिन्‍होंने ऐसे शासन किया जैसे उनके लिए कोई और मायने नहीं रखता है.' कार्ल विक ने लिखा कि 'नरेंद्र मोदी सशक्तिकरण के लोकप्रिय वादे के साथ सत्‍ता में आए थे. लेकिन उनकी हिंदू राष्‍ट्रवादी पार्टी बीजेपी ने न केवल उत्कृष्टता को बल्कि बहुलवाद खासतौर पर भारत के मुसलमानों को खारिज कर दिया. बीजेपी के लिए अत्‍यंत गंभीर महामारी असंतोष को दबाने का जरिया बन गई. और इसी के साथ दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र अंधेरे में घिर गया है.'

बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'भारत का डिवाइडर इन चीफ' यानी 'प्रमुख विभाजनकारी' बताया था.

रंग लाया आयुष्मान खुराना का अभिनय

बॉलीवुड स्टार और सिंगर आयुष्मान खुराना एकमात्र अभिनेता हैं जिन्हें टाइम ने इस बार अपनी लिस्ट में जगह दी है. आयुष्मान के बारे में खास बात यह है कि वो हर बार कुछ नए टॉपिक के साथ पर्दे पर नजर आते हैं. एक वर्सेटाइल एक्टर होने के नाते उन्होंने कई अहम रूढ़िवादी मुद्दों पर भी अभिनय कर जनता की सोच बदलने को मजबूर किया है. ऐसे मुद्दे जिनके बारे में आमतौर पर घर या समाज में कोई बात नहीं होती है. उनकी पहली फिल्म विकी डोनर (जिसमें वह स्पर्म डोनेट करते हैं), दम लगा के हईशा (महिलाओं के प्रति बॉडी शेमिंग पर आधारित), बाला (पुरुषों के गंजेपन की समस्या पर आधारित), गुलाबो-सिताबो (मध्य - अशिक्षित वर्ग की समस्या) जैसी कई फिल्मों ने दर्शकों का दिल जीता है.

दादी किसी से कम हैं क्या!

किसे पता था कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं में से एक, बिलकिस दादी दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में शुमार हो जाएंगी. बिलकिस उन हजारों प्रदर्शनकर्ताओं में से एक थीं जो दिल्‍ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ महीनों बैठी रहीं. टाइम मैगजीन की तरफ से लिस्‍ट जारी होने के बाद ट्विटर पर 'शाहीन बाग' ट्रेंड करने लगा है. विपक्ष इसका फायदा उठाकर लगातार ट्वीट कर रहा है. इसके साथ ही ट्विटर यूजर्स भी पीछे नहीं हैं. किसी ने लिखा दादी इज़ रॉकिंग तो किसी ने लिखा हमारी दादी किसी से कम है क्या.

मिडिल क्लास सुन्दर पिच्चाई से गूगल के सीईओ तक का सफर

एक युवा के तौर पर भारत से बाहर निकलना और $ 1 ट्रिलियन कॉरपोरेशन के सीईओ बनने तक का सफर इतना आसान भी नहीं. सुन्दर पिच्चाई ने अपने कई सफल उत्पादों, जैसे ड्राइव, जीमेल और मैप्स का नेतृत्व करके Google (अब अल्फाबेट) की उन्नति के लिए अपनी मानसिकता और नैतिकता का इस्तेमाल किया. सुंदर, स्वयं और न्यूयॉर्क

शहर के अन्य सबसे बड़े नियोक्ताओं के 25 सीईओ के साथ, हाल ही में कम आय वाले, ब्लैक, लैटिनएक्स और एशियाई समुदायों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, 2030 तक 100,000 पारंपरिक रूप से अयोग्य न्यूयॉर्क वासियों को काम पर रखने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. जाहिर है टाइम ऐसे व्यक्तित्व को अपनी सूची से कैसे दरकिनार कर सकता है.

भारतीय बायोलॉजिस्ट ने मनवाया अपना लोहा

भारतीय मूल के बायोलॉजिस्ट प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता भी टाइम्स पत्रिका की सूची में शामिल हैं. वे क्लिनब्रिज यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी और वेलकम ट्रस्ट के सीनियर फेलो हैं, जो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में ही मौजूद है. साथ ही वह अफ्रीका स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान में फैकल्टी भी है. मार्च 2019 में, गुप्ता ने एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति कैस्टिलोजो के इलाज का नेतृत्व किया, जिसमें एडवांस हॉजकिन लिंफोमा advanced Hodgkin's lymphoma के साथ एक 'असंबंधित' स्टेम सेल प्रत्यारोपण किया गया था. वह अबतक विश्व भर में दूसरा व्यक्ति है जो इस बीमारी से ठीक हुआ है. कैस्टिलोजो प्रोफेसर के बारे में बताते हैं कि "उन्होंने मुझे चैंपियन बनाया और दुनिया भर में एचआईवी के साथ रहने वाले लाखों लोगों के लिए आशा की किरण बनाने के लिए मुझे सशक्त बनाया."

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