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कोरोना वायरस महामारी से अमेरिका का हाल बेहाल है. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 21 अप्रैल को ट्वीट किया कि वो अस्थायी तौर पर देश में इमिग्रेशन रोकने के लिए 'एग्जीक्यूटिव ऑर्डर' साइन करने वाले हैं. ऐसे में अब उनपर सवाल उठने लगे हैं कि क्या सिर्फ कोरोना वायरस से ध्यान भटकाने के लिए ट्रंप ने ऐसा फैसला लिया है?
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आव्रजन संबंधी बयान का मकसद कोरोना वायरस संकट से निपटने में अपनी नाकामी से लोगों का ध्यान भटकाना है. बता दें कि कोरोना वायरस के कारण अमेरिका में 45,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
कांग्रेस सदस्य नैंसी पेलोसी ने भी बाइडेन की बात का समर्थन करते हुए कहा कि ट्रम्प लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे हैं.
बाइडेन ने आरोप लगाया कि ट्रंप को उम्मीद है कि वह हर किसी को इस सत्य से विचलित कर सकते हैं कि उन्होंने इस वायरस पर काबू पाने के लिए बहुत धीरे-धीरे कदम उठाया और अब हम सभी इसकी कीमत चुका रहे हैं.
बाइडेन ने कहा कि अमेरिका आने वाले लोगों की कोविड-19 की जांच करने की आवश्यकता है - चाहे वे अमेरिकी नागरिक हों या नहीं. इसके अलावा कोरोना वायरस पर काबू के लिए ट्रैवल बैन की नीति सही है हैं.
इससे पहले ट्रम्प ने कहा था कि वह देश में आव्रजन को अस्थायी रूप से निलंबित करने के अपने कार्यकारी आदेश के तौर पर अगले 60 दिनों के लिए नए ग्रीन कार्ड जारी करने या वैध स्थायी निवास की अनुमति देने की प्रक्रिया पर रोक लगा रहे हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि जांच के लिए त्वरित और प्रभावी उपायों के बदले ट्रंप प्रवासियों के बारे में बयानबाजी कर रहे हैं.
इसका असल प्रभाव एग्जीक्यूटिव ऑर्डर सामने आने के बाद पता चलेगा. हालांकि, बैन उन भारतीयों को प्रभावित करेगा जो ग्रीन कार्ड के इंतजार में हैं. अमेरिकन इमिग्रेशन पॉलिसी रिसर्च फर्म CATO.org के मुताबिक, करीब 5.5 लाख भारतीय 2018 में अपने ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे थे. उसी साल 59,821 भारतीय नागरिकों को ग्रीन कार्ड मिला था. पिछले कई सालों में 2018 तक अमेरिका में इमिग्रेंट्स में भारतीय, चाइनीज और मेक्सिकन लोग सबसे ज्यादा तादाद में हैं.
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