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ब्रिटेन (Britain Election) में कई दिनों से चुनाव को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. इस बीच बुधवार, 22 मई को प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने लंदन के 10 डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रितानी प्रधानमंत्री का आवास और दफ्तर) में मीडिया को संबोधित करते हुए चुनाव की घोषणा कर दी. चुनाव अब से 6 सप्ताह के बाद यानी 4 जुलाई को होने हैं.
ब्रिटेन में हर पांच साल में चुनाव होते हैं लेकिन उस समय सीमा के भीतर किसी भी समय चुनाव कराए सकते हैं. तय सीमा के मुताबिक, जनवरी 2025 में मतदान कराया जाना था, लेकिन सुनक के चौंका देने वाले ऐलान से पहले तक देश को उम्मीद थी कि शरद ऋतु में चुनाव कराए जाएंगे.
ऋषि सुनक हमेशा से कहते रहे हैं कि वोट इस साल की दूसरी छमाही में होगा (जो तकनीकी रूप से जुलाई है) लेकिन यह अभी भी पूरे देश के लिए एक झटका है कि चुनाव इतनी जल्दी कराए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि सुनक के अपने ही सांसद चुनाव की घोषणा से खफा हैं.
आपको बताते हैं कि आने वाले हफ्तों में ब्रिटेन में क्या -क्या संभावनाएं हैं?
सुनक का भाषण इस तर्क पर आधारित था कि केवल वह और कंजर्वेटिव पार्टी ही दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से "सबसे चुनौतीपूर्ण" समय में ब्रिटेन का नेतृत्व कर सकते हैं.
यह एक खतरनाक तर्क है, क्योंकि लेबर पार्टी कई समस्याएं को लेकर मौजूदा सरकार को घेर सकती है. जैसे- सार्वजनिक सेवाओं की स्थिति और लिज़ ट्रस के मिनी बजट के कारण होने वाली आर्थिक उथल-पुथल. बता दें कि मिनी बजट कंजर्वेटिव सरकार के तहत (और यहां तक कि उसके द्वारा) बनाई गई थी.
जैसे ही यह पुष्टि हुई कि मुद्रास्फीति कम हो रही है, सुनक ने चुनाव की तारीख तय कर दी, जो उनकी सरकार के लिए एक बहुत जरूरी अच्छी खबर है. मुमकिन है कि सुनक की योजना रही होगी कि वह विपक्षी लेबर पार्टी को भी चौंका दें, क्योंकि विपक्षी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को गर्मियों की छुट्टी दे रहा है, क्योंकि उसे उम्मीद थी गर्मियों की छुट्टियों के बाद तक चुनाव नहीं होगा.
गौरतलब है कि जब ऋषि सुनक चुनाव की घोषणा को लेकर भाषण दे रहे थे तब इस बीच, डाउनिंग स्ट्रीट के गेट पर एक प्रदर्शनकारी बहुत तेज संगीत बजा रहा था. संगीत की वजह से सुनक का भाषण शोर में दब गया. जो संगीत बज रहा था वह डी: रीम का 'थिंग्स कैन ओनली गेट बेटर' का धुन था. ये एक ऐसा गाना है जिसे ब्रिटिश लोग 1997 में टोनी ब्लेयर के अभियान से जोड़ते हैं, जब लेबर ने भारी जीत हासिल की थी.
"शॉर्ट कैंपेन" - चुनाव के एलान के दिन से और चुनाव के दिन के बीच की अवधि होती है. ये कई अन्य देशों की तुलना में ब्रिटेन में बहुत कम है. वे कम से कम 25 दिनों तक होते हैं और कई बार शायद इससे भी कम.
हालांकि, 'लॉन्ग कैंपेन' यानी लंबी अवधि तक चलने वाला कैंपेन उस समय अवधि को कहते हैं जब राजनीतिक दलों को इस बात का एहसास हो जाता है कि चुनाव करीब है. यह देखते हुए कि ऋषि सुनक पांच साल की समय सीमा के आखिरी हिस्से में सत्ता चला रहे थे, इसलिए कुछ वक्त से ब्रिटेन में 'लॉन्ग कैंपेन' चल रहा था.
संसद भंग करने की अनुमति मांगने के लिए ऋषि सुनक पहले ही किंग चार्ल्स से बात कर चुके थे. बता दें 30 मई को संसद भंग होगा. उसके बाद, तकनीकी रूप से, कोई सांसद नहीं है (सभी पदधारी जो खड़े होने का निर्णय लेते हैं, सांसद के बजाय उम्मीदवार बन जाते हैं). कोई भी संसदीय कार्य जो उस दिन से पहले पूरा नहीं हुआ है उसे निरस्त कर दिया जाएगा.
इसके बाद सांसद संसदीय सीट जीतने की उम्मीद में ब्रिटेन के 650 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार शुरू करेंगे. इसमें परंपरागत रूप से घर-घर जाकर प्रचार करना शामिल है. कुछ लोग राष्ट्रीय अभियान में भी शामिल होंगे, विशेषकर वे जो सरकार के मंत्री भी हैं.
पिछले कुछ सालों में ब्रिटिश राजनीति को देखते हुए ये कहना मुश्किल है कि आगे क्या होगा, हम यह कह सकते हैं कि कुछ भी हो सकता है. सर्वे में लेबर पार्टी की स्थिति अच्छी बताई जा रही है. इन सर्वे के आंकड़े सरकार में बदलाव की ओर इशारा करते हैं. लेकिन अगर ऐसा होता है तो लेबर पार्टी के नेता केर स्टार्मर ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बन सकते हैं.
कंजर्वेटिव सरकार 2010 से ब्रिटेन की सत्ता में है, हालांकि इसमें 2010 और 2015 के बीच लिबरल डेमोक्रेट के साथ गठबंधन सरकार भी शामिल है. डेविड कैमरन ने 2015 और 2016 के बीच लिबरल डेमोक्रेट के बिना एक कंजर्वेटिव सरकार का नेतृत्व किया था. इसके बाद उन्हें ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलने के फैसले के लिए इस्तीफा देना पड़ा.
हां - इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के मतदाता चुनाव में मतदान करेंगे. हालांकि स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड (और इंग्लैंड के प्रमुख शहरी क्षेत्रों) में विकसित प्रशासन हैं, इनमें से प्रत्येक क्षेत्र, इंग्लैंड के बाकी हिस्सों के साथ, वेस्टमिंस्टर संसद में बैठने के लिए सांसदों का चुनाव भी करते हैं.
हालांकि, लेबर पार्टी उत्तरी आयरलैंड में उम्मीदवार खड़ा नहीं करती है और यदि कोई सिन फेन पार्टी (आयरलैंड की एक पार्टी) उम्मीदवार उत्तरी आयरलैंड में सीटें जीतते हैं, तो वे परंपरागत रूप से वेस्टमिंस्टर में अपनी सीट नहीं लेते हैं.
ब्रिटेन में जब किसी चुनाव में स्पष्ट बहुमत होता है तब जीतने वाली पार्टी का नेता चुनाव नतीजों की पुष्टि होने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालता है. इसलिए ब्रिटेन में सत्ता का कोई संक्रमण अवधि (ट्रांजिसन पीरियड) नहीं होता है. यदि प्रधानमंत्री बदलता है, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री को तुरंत डाउनिंग स्ट्रीट छोड़ देना होता है और उसके तुरंत बाद नया प्रधानमंत्री वहां आ जाता है. ब्रिटिश राजनीति इस संबंध में काफी क्रूर है.
तकनीकी तौर पर प्रधानमंत्री की नियुक्ति किंग द्वारा की जाती है, इसलिए चुनाव विजेता सबसे पहले राजा से मिलता है.
लेकिन ऐसा तब होता है जब चुनाव के नतीजे स्पष्ट होते हैं. 2010 में जब किसी भी पार्टी ने बहुमत सीटें नहीं जीतीं, गॉर्डन ब्राउन चुनाव के बाद पांच दिनों तक प्रधानमंत्री बने रहे, जबकि गठबंधन समझौता करने की कोशिश की (और आखिरकार असफल रहे).
4 जुलाई को चुनाव कराने से यूईएफए यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप के ठीक बीच में मतदान होगा, जिससे कुछ लोगों ने अंदाजा लगाया है कि सुनक अपनी किस्मत बदलने के लिए सकारात्मक राष्ट्रीय मूड का फायदा उठाने की उम्मीद कर रहे हैं.
यह एक यथार्थवादी उम्मीद है या नहीं यह देर-सवेर साफ हो जाएगा, लेकिन ऋषि सुनक को पता होना चाहिए कि यह एक जुआ है. पिछली बार किसी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टूर्नामेंट के दौरान आम चुनाव 1970 में बुलाया गया था. हेरोल्ड विल्सन की लेबर विश्व कप क्वार्टर फाइनल में मौजूदा चैंपियन इंग्लैंड को पश्चिम जर्मनी से हराने के चार दिन बाद हार गई थी.
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