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US के बाद ब्रिटेन में भी रंगभेद के खिलाफ प्रदर्शन, मूर्ति तोड़ी

अमेरिका के बाद अब दूसरे देशों में भी रंगभेद के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो रहा है

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इंग्लैंड में 17 वीं सदी के दासों के व्यापारी एडवर्ड कोलस्टॉन की मूर्ति को तोड़कर नदी में फेंक दिया गया
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इंग्लैंड में 17 वीं सदी के दासों के व्यापारी एडवर्ड कोलस्टॉन की मूर्ति को तोड़कर नदी में फेंक दिया गया
(फोटो: ट्विटर वीडियो स्क्रीनशॉट)

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अमेरिका के बाद अब दूसरे देशों में भी रंगभेद के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो रहा है. इंग्लैंड में 17 वीं सदी के स्लेव व्यापारी एडवर्ड कोलस्टन की मूर्ति को तोड़कर नदी में फेंक दिया गया. ये अमेरिका में चल रहे #BlackLivesMatter आंदोलन के ही समर्थन में हो रहा है. अमेरिकी अश्वेत की हत्या के बाद पहले ये प्रदर्शन अमेरिका में देखने को मिले, अब दुनिया के दूसरे देशों में भी प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं.

साउथ वेस्ट इंग्लैंड के ब्रिस्टल शहर में प्रदर्शनकारियों ने दासोंके व्यापारी रहे एडवर्ड कोलस्टन की मूर्ति को पहले रस्सियों से बांधा और फिर खींचकरमूर्ति को तोड़ दिया. इसके बाद प्रदर्शनकारी इस मूर्ति को एवन नदी की तरफ लुढ़कानेलगे और आखिरकार लोगों ने इसे नदी में ढकेल दिया.

ये वाकया जब हो रहा तो प्रदर्शनकारियों में काफी उत्साह देखा जा सकता है. इसको तोड़े जाने के समर्थन में लोग चिल्ला रहे हैं.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस घटना पर लिखा है कि-

लोगों के पास सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन उनके पास पुलिस पर हमला करने का कोई अधिकार नहीं है.
बोरिस जॉनसन, प्रधानमंत्री ब्रिटेन

म्यूजियम ऑफ ब्रिस्टल की वेबसाइट के मुताबिक कोलस्टन एक ‘जनहितैशी परोपकार/बुरा दास कारोबारी’ था. इसका जन्म 1636 ब्रिस्टल शहर में ही हुआ था. लेकिन इसने कामकाज लंदन में ही किया.

अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद से ही अमेरिका में प्रदर्शन जारी है. सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोग फ्लॉयड और अश्वेत लोगों के अधिकारों को अपना समर्थन दिया. एक तरफ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जॉर्ज फ्लॉयड को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं, तो वहीं अमेरिका में ही कई शहरों में प्रदर्शन हिंसक होने के बाद सेना उतारने की धमकी दे चुके हैं. इस पूरे मामले पर ट्रंप के रवैये की काफी आलोचना हो चुकी है. ट्रंप का एक चर्च के सामने हाथ में बाइबिल लिए फोटो खिंचवाना भी लोगों को रास नहीं आया.

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