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रूस के यूक्रेन के दो अलगाववादी राज्यों को मान्यता देने के बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 22 फरवरी को एक इमरजेंसी बैठक बुलाई. इस बैठक में रूस और यूक्रेन (Ukraine-Russia Crisis) के बीच तनाव घटाने और कोई बीच का रास्ता निकालने को लेकर चर्चा हुई. UNSC बैठक में भारत ने कहा कि यूक्रेन बॉर्डर पर बढ़ता तनाव चिंता का विषय है और ये क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को कमजोर कर सकता है. भारत ने साथ ही यूक्रेन में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर जोर दिया.
संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमुर्ति ने कहा, "हम सभी पक्षों से संयम बरतने के लिए कहते हैं. हमें विश्वास है कि इस मुद्दे को केवल राजनयिक बातचीत के माध्यम से ही सुलझाया जा सकता है. हमें उन दलों द्वारा हाल ही में की गई पहलों को अहमियत देने की जरूरत है, जो तनाव को दूर करना चाहते हैं."
बता दें कि भारत दो बार अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह दे चुका है. हाल ही में जारी कि गई एडवाइजरी में कीव स्थित भारतीय दूतावास ने कहा था कि स्टूडेंट्स और नागरिक अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ दें.
UN में यूक्रेन के एंबैस्डर Sergiy Kyslytsya ने कहा कि यूक्रेन शांति चाहता है. उन्होंने कहा, "हम एक राजनीतिक और कूटनीतिक समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम उकसावे के आगे नहीं झुकेंगे."
वहीं, रूस ने कहा कि यूक्रेन मामले के कूटनीतिक हल के लिए तैयार है, लेकिन उसका इरादा 'डोनबास में खूनखराबे' की अनुमति देने का नहीं है.
UNSC की बैठक में रूस ने कहा, "हम अमेरिका के नेतृत्व में हमारे पश्चिमी सहयोगियों द्वारा निभाई गई नेगेटिव भूमिका को नोट करने के लिए मजबूर हैं."
UNSC बैठक में अमेरिका ने कहा कि ये संयुक्त राष्ट्र के सदस्य के रूप में यूक्रेन की स्टेटस पर हमला है, और ये अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन का ये कदम स्पष्ट रूप से यूक्रेन पर आगे आक्रमण करने के रूस के प्रयास का आधार है.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 22 फरवरी को पूर्वी यूक्रेन के दो क्षेत्रों- लुहान्स्क और डोनेट्स्क की स्वतंत्रता को मान्यता देने की घोषणा की.
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