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अमेरिका ने पाकिस्तान को गठबंधन समर्थन कोष (सीएसएफ) में 35 करोड़ डॉलर की मदद नहीं देने का फैसला किया है. यह कदम तब उठाया गया जब वहां के रक्षा मंत्री ने कहा कि इस्लामाबाद की ओर से कुख्यात हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ ' 'पर्याप्त कदम ' ' उठाए जाने के बारे में वह पुष्टि नहीं कर सकते.
पाकिस्तान स्थित हक्कानी नेटवर्क पर युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अमेरिका और पश्चिमी देशों के हितों पर कई बार हमले करने का आरोप है. आतंकी गुट पर काबुल में भारतीय मिशन पर 2008 में बमबारी सहित अफगानिस्तान में भारतीय हितों के खिलाफ कई घातक हमले का भी इल्जाम है. साल 2008 में बम हमले में 58 लोगों की मौत हो गयी थी.
यह लगातार दूसरा साल है जब अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कांग्रेस को पुष्टि करने से इंकार कर दिया कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ संतोषजनक कार्रवाई की. मैटिस से पहले एस्टन कार्टर अमेरिकी रक्षा मंत्री थे उन्होंने भी इसकी पुष्टि करने से मना कर दिया था.
पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप के अनुसार यह फैसला ट्रंप प्रशासन की ओर से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संबंध में अमेरिकी नीति की समीक्षा के पहले उठाया गया है. स्टंप ने कहा, ' 'इस बार कोष (35 करोड़ डॉलर ) पाकिस्तान सरकार को जारी नहीं किया जाएगा क्योंकि मंत्री ने पुष्टि नहीं की है कि वित्त वर्ष 2016 एनडीएए में जरुरत के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पाकिस्तान ने कदम उठाया. ' '
उन्होंने कहा, ' 'पाकिस्तान को वित्त वर्ष 16 सीएसएफ में अधिकृत 90 करोड़ डॉलर में 55 करोड़ डॉलर की अदायगी की गयी है. मंत्री के फैसले के साथ अतिरिक्त वित्त वर्ष सीएसएफ पाकिस्तान को नहीं मिलेगा.
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