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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 की वोटिंग खत्म होने के बाद अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के दूसरे हिस्से भी यह जानने के इंतजार में थे कि अगला राष्ट्रपति कौन होगा. इस इंतजार को खत्म करते हुए, जब अमेरिकी मीडिया ने बताया कि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे, तब इस ऐलान के पीछे एक राज्य की बड़ी भूमिका थी. यह राज्य वही है, जहां बाइडेन का जन्म हुआ था- पेन्सिलवेनिया.
म्यूलेनबर्ग कॉलेज इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के डायरेक्टर और पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर क्रिस्टोफर बोरिक ने बताया, ''जो बाइडेन बहुत ज्यादा लोगों को खास पसंद नहीं हैं.'' इस इंस्टिट्यूट के हालिया पोल के मुताबिक, बाइडेन के 49 फीसदी वोटर ही उनको वोट देने को लेकर काफी उत्साहित थे, जबकि ट्रंप के वोटरों के बीच यह आंकड़ा 82 फीसदी का था.
बोरिक ने कहा, ''अंत में, ट्रंप के खिलाफ ऐसा पर्याप्त उत्साह था कि भले ही लोग जो बाइडेन को पसंद नहीं करते थे, लेकिन वे निश्चित रूप से उनके लिए वोट करने में सक्षम थे.''
पेन्सिलवेनिया के शुरुआती रुझानों में ट्रंप को बड़ी बढ़त मिली थी, लेकिन बाद में न सिर्फ उनकी बढ़त कम होती गई, बल्कि उनके हाथ से यह राज्य ही निकल गया. दरअसल पूरे चुनाव में मेल बैलट्स को लेकर ट्रंप का जो रुख था, उसे देखकर माना गया कि ट्रंप समर्थकों ने ज्यादातर इन-पर्सन वोटिंग को ही चुना, जबकि कोरोना वायरस महामारी के बीच बाइडेन समर्थकों ने मेल बैलट्स को प्राथमिकता दी.
अल जजीरा के मुताबिक, साल 2016 में ट्रंप ने विस्कॉन्सिन, पेन्सिल्वेनिया और मिशिगन जैसे राज्यों में बाजी पलटकर राष्ट्रपति चुनाव जीता था, ये सभी राज्य 1980 के दशक से मजबूती से डेमोक्रेटिक थे. मगर अब बाइडेन ने श्वेत श्रमिक वर्ग और उपनगरीय मतदाताओं तक पहुंचकर, जिनका ट्रंप से मोहभंग हो गया था, इन तीनों ही राज्यों में जीत हासिल की है.
बाइडेन को भले ही पेन्सिलवेनिया में बहुत ज्यादा वोटर पसंद न करते हों, लेकिन उनके लिए बाइडेन क्लिंटन की तुलना में बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे. बोरिक ने बताया, ''एक अंतर, और आपको इसे सामने रखना होगा, यह है कि पेन्सिलवेनिया ने कभी भी एक महिला गवर्नर या सीनेटर को नहीं चुना है.''
उन्होंने कहा, ''इसमें जेंडर की कितनी भूमिका हो सकती है, यह समझना मुश्किल है, लेकिन पेन्सिल्वेनिया में इसका ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए इस पर विचार करना होगा.''
2016 में, ट्रंप के एंटी इमीग्रेशन, "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" अभियान और बाकी बयानबाजी ने पेन्सिलवेनिया समेत देशभर में डिइंस्ट्रियलाइजेशन से जूझ रहे श्वेत वोटरों और कामकाजी वर्ग को अपनी तरफ खींचा था. मगर इस बार बाइडेन इन वोटरों के बीच वो कर पाए, जो क्लिंटन नहीं कर पाई थीं.
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