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"इजरायल रक्षा बलों पर प्रतिबंध नहीं लगाए जाने चाहिए. हाल के सप्ताहों में, मैं इजरायली नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ काम कर रहा हूं, जिसमें वरिष्ठ अमेरिकी सरकारी अधिकारियों के साथ मेरी बातचीत भी शामिल है. ऐसे समय में जब हमारे सैनिक आतंक के राक्षसों से लड़ रहे हैं, आईडीएफ की एक इकाई पर प्रतिबंध लगाने का इरादा बेतुकापन और नैतिक पतन का सबूत है. मेरे नेतृत्व वाली सरकार इन कदमों के खिलाफ हर तरह से कार्रवाई करेगी."
ये बयान इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Israel Prime Minister Benjamin Netanyahu) ने तब दिया है जब ऐसी खबरें चल रही हैं कि अमेरिका इजरायली डिफेंस फोर्स की यूनिट मिलिट्री बटालियन नेतजाह यहूदा पर प्रतिबंध लगाने वाली है.
पीएम नेतन्याहू ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए ये बयान दिया है. लेकिन इस पोस्ट के ठीक एक घंटे पहले नेतन्याहू एक पोस्ट में लिखते हैं, "अमेरिकी कांग्रेस ने एक बहुत ही सराहनीय सहायता बिल (जंग लड़ने के लिए आर्थिक सहायता) पारित किया है जो इजरायल के लिए मजबूत द्विदलीय समर्थन को सामने रखता है और पश्चिमी सभ्यता का बचाव करता है. धन्यवाद दोस्तों, धन्यवाद अमेरिका."
अमेरिकी न्यूज आउटलेट एक्सियोस ने अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों हवाले से बताया है कि वे आईडीएफ की एक बटालियन, नेतजाह यहूदा बटालियन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं. इसपर फिलिस्तीनियों के खिलाफ गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.
इसके अलावा इजरायली अखबार हारेत्ज ने भी रविवार को बताया कि अमेरिका इजरायली पुलिस और सैन्य इकाइयों के खिलाफ भी इसी तरह के कदमों पर विचार कर रहा है. बता दें ये खबरें तब आ रही हैं जब कुछ दिन पहले अमेरिकी कांग्रेस ने इजरायल को नई आपातकालीन सहायता के तहत 26 बिलियन डॉलर दिया था.
सवाल उठता है जिस इजरायल को अमेरिकी पिछले 6 महीने से गाजा जंग में समर्थन दे रहा था अचानक से उसकी आर्मी यूनिट पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी क्यों कर रहा है, लेकिन उससे पहले समझें कि नेतजाह यहूदा बटालियन क्या है?
नेतजाह यहूदा बटालियन केफिर ब्रिगेड का हिस्सा है. इसकी स्थापना मूल रूप से 1999 में अति-रूढ़िवादी और राष्ट्रीय धार्मिक समुदायों से रंगरूटों को समायोजित करने के लिए की गई थी, जिसमें चरमपंथी बस्तियों के लोग भी शामिल थे और ऐतिहासिक रूप से मुख्य रूप से वेस्ट बैंक पर तैनात किया गया है.
ब्रितानी अखबार द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बटालियन के सैनिकों पर 78 वर्षीय अमेरिकी-फिलिस्तीनी नागरिक उमर असद की मौत का आरोप लगाया गया था. उमर असद की मौत 2022 में कथित तौर पर बटालियन के सदस्यों द्वारा हिरासत में लेने, बांधे जाने, गला घोंटने और फिर छोड़ने के बाद दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी. यह कई हाई-प्रोफाइल घटनाओं में से एक थी जिसमें यातना और दुर्व्यवहार के दावे शामिल हैं.
इस बटालियन को बाद में वेस्ट बैंक से उत्तरी इजरायल में फिर से तैनात किया गया और गाजा में भी तैनात किया गया।
इस घटना के बाद अमेरिका ने इजरायली सेना और पुलिस की अलग-अलग यूनिट की तफ्तीश शुरू कर दी.
अमेरिकी मानवाधिकार कानून के तहत 1997 के लिही कानून के तहत किसी भी विदेशी सेना को मदद रोका जा सकता है. द गार्जियन के मुताबिक, अमेरिकी सैन्य सहायता नेतजाह यहूदा बटालियन को नहीं मिल सकेगी और सैनिकों और अधिकारियों को अमेरिकी सेना के साथ बटालियन की ट्रेनिंग में या अमेरिकी वित्त पोषण प्राप्त करने वाले कार्यक्रमों में भाग लेने पर रोक लगेगी.
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