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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर वोटिंग शुरु हो चुकी है. डेमोक्रेटिक पार्टी की केंडिडेट को न्यूहैंपशायर के डिक्सवायल नॉच में पहली जीत हासिल हुई है. मैदान में मौजूद दोनों उम्मीदवारों के बीच जन समर्थन का फासला भी घट चला है.
इस बार के चुनाव की खासियत यह है कि दोनों कैंडिडेट समाज की आधी-आधी आबादी को रिप्रेजेंट कर रहे हैं. यानी एक मेल कैंडिडेट तो दूसरी फीमेल. रिपब्लिकन पार्टी से डोनाल्ड ट्रंप, तो डेमोकट्रिक पार्टी से हिलेरी क्लिंटन. हिलेरी इस रेस में आगे हैं.
ट्रंप की छवि महिला विरोधी, मुस्लिम विरोधी, अप्रवासी विरोधी की है, जबकि हिलेरी की ऐसी कोई विरोधी छवि नहीं है. तो क्या हिलेरी को लोगों से मिल रहे सपोर्ट में आधी आबादी प्रमुख रोल निभा रही है?
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह भी है कि सर्वे में हिलेरी और ट्रंप के बीच मुकाबला कांटे का निकला है? बहरहाल, सबकी नजरें इस वोटिंग के रिजल्ट पर टिकी हैं.
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के अनुसार, हिलेरी को महिला होने का फायदा मिलेगा.
नैयर हालांकि यह भी कहते हैं कि अमेरिका में ट्रंप की मुंहफट और बेबाक छवि के भी कम कायल नहीं हैं.
रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति उम्मीदवार की दावेदारी के समय से ही ट्रंप विवादों में हैं. महिलाओं, मुसलमानों और शरणार्थियों पर उनके विवादित बयान चर्चा में रहे हैं. उम्मीदवारी पक्की हो जाने के बाद विवादों का सिलसिला और बढ़ा. उनकी छवि यौन उत्पीड़क, मुंहफट, महिला और मुस्लिम विरोधी के रूप में बनती चली गई.
जेएनयू में वीमेन स्टडीज एंड पॉलिटिकल थॉट्स की प्रोफेसर निवेदिता मेनन हिलेरी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं.
राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने चुनाव अभियान की शुरुआत से ही खुद को महिला हितैषी और अमेरिका की उद्धारक के रूप में पेश किया है.
लेकिन इस चुनाव में हिलेरी की इमेज पर भी आंच आई. दरअसल, ट्रंप को नीचा दिखाने में हिलेरी इतना मशगूल हो गईं कि वह खुद भूल गईं कि उनका पास्ट भी कांट्रोवर्सी से भरा हुआ है. ईमेल स्कैंडल और पूर्व राष्ट्रपति और उनके पति बिल क्लिंटन के सेक्स स्कैंडल के काले साये ने उनका खेल थोड़ा असंतुलित कर दिया.
अमेरिका में इस बार का राष्ट्रपति चुनाव अभियान अप्रत्याशित रहा है. अब तक के जितने भी सर्वे हुए हैं, सभी में हिलेरी की ट्रंप पर बढ़त रही. वाशिंगटन पोस्ट/एबीसी सर्वे में हिलेरी ने ट्रंप पर तीन पॅाइंट्स की बढ़त बनाई. हिलेरी को 47 फीसदी, जबकि ट्रंप को 44 फीसदी वोट मिले हैं. लेकिन इससे पहले सोमवार को जारी सर्वे में ट्रंप ने पहली बार हिलेरी पर एक पाॅइंट से बढ़त बना ली थी.
हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे कोई खास अंतर नहीं पड़ता है, जबकि एक धड़ा यह भी कह रहा है कि इस बार के चुनाव में एक-दो फीसदी का अंतर भी नतीजों पर असर डाल सकता है. सर्वे बताते हैं कि हिलेरी के ईमेल विवाद की एफबीआई जांच और ट्रंप की बेबाकी हिलेरी पर भारी पड़ सकती है. उन पर वॉल स्ट्रीट के हाथों बिकने के भी आरोप लगते रहे हैं.
मेनन कहती हैं, "हिलेरी के पास 30 साल का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन वह वॉल स्ट्रीट के हाथों बिकी हुई हैं और इस तरह वह महिलाओं के लिए रोल मॉडल कतई नहीं हो सकतीं. उनमें महिलाओं का आदर्श बनने लायक गुण नहीं हैं."
पिउ रिसर्च की सितंबर में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कई ईसाई धर्म प्रचारक हिलेरी की तुलना में ट्रंप को इसलिए तरजीह दे रहे हैं, क्योंकि वह क्लिंटन नहीं हैं. मसलन क्लिंटन को बेईमानी का पर्याय माना जा रहा है.
सर्वे में यह बात भी सामने आई की अमेरिका में रह रहे हिंदुओं का रुझान ट्रंप की ओर हैं, जबकि मुसलमानों की पहली पसंद हिलेरी बनी हुई हैं. ट्रंप बड़बोले हैं, मुंहफट हैं, 11 महिलाओं ने उन पर सेक्सुअली हैरेसमेंट के आरोप लगाए जिससे उनकी इमेज खराब हुई है, लेकिन क्या हिलेरी पाक-साफ हैं?
नैयर कहते हैं, "यकीनन, हिलेरी को महिला होने का फायदा मिलेगा, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि दोनों में से जीत किसकी होगी. क्योंकि दोनों में जीत का अंतर बहुत ही कम नजर आ रहा है.”
अमेरिका में चुनाव के नतीजों का भारत पर क्या असर पड़ेगा?
जामिया मिलिया इस्लामिया में राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर ओबेद सिद्दीकी का कहना है कि
"चाहे हिलेरी जीतें या ट्रंप, किसी की भी जीत से भारत को कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला. क्योंकि भारत को लेकर अमेरिकी नीति में कोई खास बदलाव नहीं होगा. हिलेरी व्हाइट हाउस पहुंचने वाली हैं, इसमें कोई शक नहीं."
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