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अमेरिका में 3 नवंबर को होनी वाली राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग से पहले एक सवाल बार-बार उठ रहा है- देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा?
जब आप इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे तो अभी आपको नेशनल पोल्स से लेकर इलेक्टोरल वोट तक के आधार पर डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन, मौजूदा राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर भारी पड़ते दिखेंगे.
ऐसे में अगर ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव हारते हैं तो इस हार में किन बड़े मुद्दों की भूमिका होगी, इस आर्टिकल में हम यह समझने की कोशिश करेंगे. मगर उससे पहले यह जान लेते हैं कि अमेरिका के इस राष्ट्रपति चुनाव में कौन से मुद्दे वोटरों के लिए सबसे ज्यादा अहम हैं:
29 अक्टूबर को सामने आए सीएनएन पोल के मुताबिक, चार बड़े मुद्दों पर बाइडेन को ट्रंप पर बढ़त हासिल है- हेल्थ केयर, सुप्रीम कोर्ट अप्वाइंटमेंट, कोरोना वायरस महामारी और नस्लवाद.
ट्रंप प्रशासन कोरोना वायरस महामारी से जिस तरह निपटा है, उसका नतीजा यह है कि COVID-19 के कुल कन्फर्म्ड केस के मामले में अमेरिका दुनिया में पहले स्थान पर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अमेरिका में COVID-19 के 8852730 कन्फर्म्ड केस सामने आ चुके हैं, जबकि वहां इसके चलते 227178 लोगों की जान जा चुकी है.
ट्रंप को चुनाव में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. सीएनएन के हालिया पोल से भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, जिसके मुताबिक, 57 फीसदी लोगों को लगता है कि बाइडेन कोरोना वायरस महामारी से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं, जबकि ट्रंप के लिए ऐसा सोचने वालों का आंकड़ा महज 39 फीसदी का है.
मई 2020 में अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में नस्लवाद का मुद्दा एक बार फिर खड़ा हुआ है. इस मुद्दे पर प्रदर्शन के दौरान अश्वेतों के साथ-साथ श्वेत प्रदर्शनकारियों ने भी ‘‘अश्वेत जिंदगियां मायने रखती हैं’’ के पोस्टर लहराए.
हालांकि प्रदर्शन के दौरान आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं. इस मुद्दे पर जहां डेमोक्रेट्स शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वालों के साथ खड़े दिखे, वहीं ट्रंप ने हिंसक प्रदर्शनकारियों की गतिविधियों को हाइलाइट कर उन्हें निशाना बनाया और वह काफी हद तक पुलिस प्रशासन के बचाव में भी दिखे.
पिछले दिनों जब ट्रंप ने एमी कोनी बैरेट को सुप्रीम कोर्ट की नई जस्टिस के रूप में नॉमिनेट किया तो यह मुद्दा भी राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया. इसे उस क्रम में देखा गया, जिसके तहत कहा जा रहा है कि ट्रंप सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिकन विचारधारा का दबदबा कायम करना चाहते हैं, जिसकी वजह से गर्भपात और ओबामाकेयर जैसे मुद्दों पर बड़ा बदलाव हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में नॉमिनेशन के मुद्दे का दूसरा पहलू वो है जिस पर डेमोक्रेट्स ने जोर दिया. उनका कहना था कि नॉमिनेशन चुनाव के बाद नए राष्ट्रपति की तरफ से होना चाहिए था. हालांकि, इस बीच राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ही रिपब्लिकन्स के नियंत्रण वाले सीनेट ने भी बैरेट के नॉमिनेशन पर मुहर लगा दी.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, किसी जज के लिए राष्ट्रपति चुनाव वाले सालों में जुलाई के बाद वोट नहीं किया गया है. चार साल पहले, सीनेट रिपब्लिकन्स ने स्कैलिया की जगह जज मैरिक बी गारलैंड के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा के नॉमिनेशन पर विचार तक करने से इनकार कर दिया था, जिसका ऐलान चुनाव के दिन से 237 दिनों पहले किया गया था. इसके पीछे दलील दी गई थी कि इसका फैसला अगले राष्ट्रपति पर छोड़ देना चाहिए.
सीएनएन पोल के आंकड़े देखें तो बड़े मुद्दों में से एक इकनॉमी का मुद्दा ही ऐसा है, जिस पर ट्रंप बाइडेन से आगे दिखते हैं. 51 फीसदी लोग इकनॉमी को लेकर ट्रंप के समर्थन में हैं, जबकि बाइडेन के लिए यह आंकड़ा 46 फीसदी का है.
ट्रंप इस मुद्दे पर और भी फायदा उठाने की कोशिश करेंगे क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते लड़खड़ाई अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया है. अमेरिका का रियल ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) 2020 की तीसरी तिमाही में 33.1 फीसदी की सालाना दर से बढ़ा है.
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