Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Trump Vs Biden: राष्ट्रपति चुनाव में कौन किस पर भारी दिख रहा?

Trump Vs Biden: राष्ट्रपति चुनाव में कौन किस पर भारी दिख रहा?

नेशनल पोल्स के आधार पर अनुमान लगाना क्यों सटीक नहीं?

अक्षय प्रताप सिंह
दुनिया
Updated:
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: Biden Vs Trump
i
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: Biden Vs Trump
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हलचल काफी तेज हो चुकी है. मौजूदा राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए हर संभव कोशिश करते दिख रहे हैं. इस चुनाव में ट्रंप के प्रतिद्वंदी हैं- डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन. प्रमुख नेशनल ओपिनियन पोल्स के मुताबिक, बाइडेन चुनाव में ट्रंप पर भारी दिख रहे हैं. इसके बावजूद भी, अभी इस बात का पुख्ता अनुमान लगाना कि राष्ट्रपति कौन बनेगा, मुश्किल ही है. ऐसा क्यों है, ये समझने की कोशिश करते हैं. इसके साथ ही इस चुनाव को लेकर ट्रंप और बाइडेन की मौजूदा स्थिति को अलग-अलग आधार पर देखते हैं.

नेशनल पोल्स के आधार पर अनुमान लगाना क्यों सटीक नहीं?

सबसे पहले नेशनल पोल्स की बात करते हैं. रियल क्लियर पॉलिटिक्स के 16 सितंबर के नेशनल पोल एवरेज के मुताबिक, बाइडेन को 49 फीसदी समर्थन हासिल है, वहीं ट्रंप के लिए यह आंकड़ा 43.1 फीसदी है.

यहां बाइडेन के लिए अच्छी बात यह है कि उन्हें बढ़त हासिल है, जबकि उनके लिए चिंता की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों में इस बढ़त का आंकड़ा लगातार कम हुआ है.

नेशनल पोल्स को लेकर यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इनसे देश के मूड की झलक दिखती है, मगर ऐसा जरूरी नहीं है कि अगर किसी चुनाव में किसी उम्मीदवार के पास नेशनल पोल्स में लगातार बढ़त रहे तो उसका राष्ट्रपति चुना जाना तय होगा.

दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में पूरे देश में जनता के वोट यानी पॉपुलर वोट से ज्यादा अहमियत इलेक्टोरल वोट की होती है क्योंकि अब तक 5 चुनावों में ऐसा देखने को मिला है कि कोई उम्मीदवार पॉपुलर वोट में जीत गया हो, लेकिन वह इलेक्टोरल वोट में हारने की वजह से राष्ट्रपति चुनाव हार गया. अब अगर आपके मन में सवाल उठ रहा है कि इलेक्टोरल वोट के आधार पर राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है तो उसे समझने के लिए ये वीडियो देखिए:

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जिन चुनावों में उम्मीदवारों ने पॉपुलर वोट में जीत हासिल करके भी राष्ट्रपति चुनाव गंवाया, उनमें साल 1824, 1876, 1888, 2000 और 2016 के चुनाव शामिल हैं. साल 2016 के चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले तक नेशनल पोल्स में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन बढ़त बनाए हुए थीं, यह बढ़त नतीजे में भी बदली जब हिलेरी को ट्रंप से ज्यादा पॉपुलर वोट मिले, मगर वह इलेक्टोरल वोट में पिछड़ने की वजह से राष्ट्रपति चुनाव हार गईं. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि किसी राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए जब आखिर में इलेक्टोरल वोट ही मायने रखते हैं तो क्यों न उस आधार पर ट्रंप और बाइडेन की मौजूदा स्थिति को देखा जाए. तो चलिए, अब इलेक्टोरल कॉलेज पोल पर नजर दौड़ाते हैं.

इलेक्टोरल वोट को लेकर कहां फंसा है चुनाव?

किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए कुल 538 इलेक्टोरल वोट में से कम से कम 270 इलेक्टोरल वोट हासिल करने होते हैं.

यहां ‘भारी संभावना’ से लेकर ‘टॉस अप्स’ तक जो अलग-अलग कैटिगरी दी गई हैं, वो किसी उम्मीदवार के लिए किसी राज्य के इलेक्टोरल वोट जीतने की अलग-अलग संभावनाओं पर आधारित हैं. ‘भारी संभावना’ वाली कैटिगरी की बात करें तो इसमें कैलिफॉर्निया जैसे राज्य हैं, जहां बाइडेन को ट्रंप पर 30.3 प्वाइंट की बढ़त हासिल है.

बार चार्ट में जिस टर्म ‘टॉस अप्स’ का इस्तेमाल किया गया है, वो दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर को दर्शाती है. चार्ट में 191 इलेक्टोरल वोट ‘टॉस अप्स’ कैटेगरी में हैं. यहां अगर एक उम्मीदवार को दूसरे पर बढ़त हासिल भी है, तो वो इतनी कम है कि वोटिंग होते-होते उसके बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. जैसे नॉर्थ कैरोलाइना राज्य इस कैटिगरी में आता है, जहां बाइडेन को ट्रंप पर महज 0.7 प्वाइंट की बढ़त हासिल है.

दरअसल, अमेरिका के बहुत से राज्यों में किसी एक उम्मीदवार की दूसरे उम्मीदवार पर बढ़त काफी ज्यादा है, ऐसे में उन राज्यों में जीत का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है. जबकि कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां दोनों उम्मीदवारों के जीतने की संभावना है और ‘टॉस अप्स’ कैटिगरी लागू होती है. ऐसे राज्यों को 'बैटलग्राउंड स्टेट' कहा जाता है. उम्मीदवार अपने चुनावी अभियान की काफी ऊर्जा ऐसे ही राज्यों में खपाते दिखते हैं.

बार चार्ट में जिन राज्यों के आंकड़े हैं, वो 16 सितंबर के अपडेट के आधार पर हैं. इससे कुछ दिन पहले के आंकड़े देखें तो बैटलग्राउंड स्टेट्स में टेक्सस, ओहायो, वर्जीनिया, न्यू हैंपशायर और आयोवा समेत और भी कुछ राज्य शामिल हैं.

अहम मुद्दों को लेकर क्या है ट्रंप और बाइडेन की स्थिति?

ट्रंप प्रशासन कोरोना वायरस महामारी से जिस तरह निपटा है, उसका नतीजा यह है कि कुल कन्फर्म्ड केस के मामले में दुनिया में अमेरिका का पहला स्थान है. ट्रंप को चुनाव में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. इस मोर्चे पर ट्रंप की अप्रूवल रेटिंग की हालत खराब है और भविष्य में इन रेटिंग्स में कुछ खास सुधार की संभावना भी नहीं जताई जा सकती. हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार बॉब वुडवर्ड की किताब के जरिए यह दावा सामने आया है कि ट्रंप को पता था कि कोरोना वायरस का खतरा काफी गंभीर है, लेकिन उन्होंने इसे उतनी गंभीरता से जनता के बीच नहीं स्वीकारा. इस दावे ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं, शायद इसलिए भी, क्योंकि वुडवर्ड एक जानेमाने पत्रकार हैं, जिनकी वॉटरगेट स्कैंडल में की गई रिपोर्टिंग को आज भी याद किया जता है.

मई 2020 में अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में नस्लवाद का मुद्दा एक बार फिर तेजी से उठ खड़ा हुआ है.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

ऐसे में साफ है कि इस चुनाव में ट्रंप की तुलना में बाइडेन के लिए यह मुद्दा ज्यादा अहम है. हालांकि एक मुद्दा ऐसा है, जिसे लेकर बाइडेन जरूर चिंतित होंगे, वो है इकनॉमी का मुद्दा. हाल ही में द हिल में मार्क पेन ने लिखा था कि जिन पोल्स में ट्रंप 7 से लेकर 10 प्वाइंट्स तक पिछड़ रहे हैं, वहां इकनॉमी के मोर्चे पर उनके पास 5 या उससे ज्यादा प्वाइंट्स की बढ़त है. इसका मतलब है कि अभी ऐसे वोटरों की अच्छी खासी संख्या है, जिनके लिए राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर बाइडेन पहली पसंद हैं, लेकिन वे सोचते हैं कि ट्रंप इकनॉमी को लेकर अच्छा काम करेंगे. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप जनरल इलेक्शन की वोटिंग तक इस मुद्दे को कितना भुना पाते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 17 Sep 2020,12:51 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT