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अमेरिका ने म्यांमार के साथ व्यापार समझौते को किया सस्पेंड

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद संकट की स्थिति पैदा हो गई है. 

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जो बाइडेन
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जो बाइडेन
(फोटो: IANS)

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अमेरिका ने म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार की बहाली होने तक इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश के साथ व्यापार समझौते को निलंबित कर दिया है. म्यांमार में एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की हिंसक कार्रवाइयों के बीच यह फैसला लिया गया है.

अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन टाई ने एक बयान में कहा कि अमेरिका लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली के लिए म्यांमार के लोगों की कोशिश का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि साथ ही अमेरिका सुरक्षाबलों की ओर से आम नागरिकों पर की गई हिंसक कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है.

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उनके ऑफिस ने बयान में कहा कि अमेरिका व्यापार और निवेश रूपरेखा समझौता 2013 के अंतर्गत म्यांमार से किए गए सभी व्यापार समझौतों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करता है.

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी लोकतांत्रिक सरकार को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. वहीं सुरक्षाबल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 फरवरी से ऐसी कार्रवाइयों में 400 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

म्यांमार नाउ के मुताबिक, सिर्फ शनिवार को ही सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कम से कम 114 लोगों की जान चली गई, जिनमें बच्चे भी शामिल थे. इस कार्रवाई के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रविवार को कहा, “यह भयावह है. यह पूरी तरह क्रूरता है और मुझे जो खबर मिली है उसके मुताबिक काफी संख्या में लोगों को बेवजह मारा गया है.”

‘अनिश्चित स्थिति में म्यांमार के लाखों इंटरनेट यूजर’

टेक क्रंच की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस व्यापार निलंबन को वैसे तो म्यांमार सेना को टारगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन इसने म्यांमार में लाखों इंटरनेट यूजर्स को अनिश्चितता में छोड़ दिया है क्योंकि अमेरिकी क्लाउड और इंटरनेट कंपनियों के लिए एक अनिश्चित स्थिति पैदा हो गई है. ये कंपनियां नियमों के अलग-अलग मतलबों से जूझ रही हैं.

आम तौर पर अमेरिका में काम कर रही कंपनियों को उसकी ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का भी पालन करना होता है, वरना उनके सामने भारी जुर्माने का खतरा होता है.

साल 2016 में क्वार्ट्ज की रिपोर्ट में बताया गया था कि सीरिया, क्यूबा और ईरान (जो अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में थे) में इंटरनेट यूजर आईबीएम की ओर से होस्ट की जाने वाली साइट्स को एक्सेस नहीं कर पा रहे थे क्योंकि अमेरिकी क्लाउड होस्ट ने इन देशों के यूजर्स को अपनी सेवाओं तक पहुंचने से रोक दिया था.

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