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बाइडेन: कोरोना से चीन तक...अमेरिका के नए राष्ट्रपति की चुनौतियां

नस्लवाद से लेकर चीन और अस्त-व्यस्त अमेरिका को संभालने की जिम्मेदारी

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एपी और सीएनएन के मुताबिक डेमोक्रेट जो बाइडेन अमेरिका के अगले राष्ट्रपपति होंगे. नए राष्ट्रपति के तौर पर बाइडेन के सामने कौन सी चुनौतियां होंगी और प्रेसीडेंट कैसे US को आगे बढ़ाएंगे आइए जानते हैं.

कोरोना और इकनॉमी

कोरोना से लाखों मौतें और इकनॉमी तबाह. यही बाइडेन की सबसे बड़ी और पहली चुनौती है. शुक्रवार-शनिवार की मध्य रात के दौरान अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए बाइडेन ने कहा कि हम कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए पहले ही दिन से अपनी योजना को अमल में लाने जा रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि अमेरिकी नागरिकों ने डेमोक्रेट्स को कोरोना वायरस संकट, आर्थिक मंदी और नस्लवाद की समस्या पर कार्रवाई करने के लिए चुना है और हम पहले दिन से ही इस पर काम करेंगे.

नस्लवाद

'सबका साथ-सबका विकास' का वादा, अब करके दिखाना होगा

ट्रंप के खिलाफ एक चीज जो गई है वो है अमेरिका को बांटने की राजनीति. रंग के आधार पर, अमेरिकी, गैर अमेरिकी के आधार पर , धर्म के आधार पर. इसी बंटे हुए अमेरिका को साथ लाना बाइडेन की दूसरी बड़ी चुनौती होगी.

मिनेसोटा में एक रैली के दौरान जो बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका अगले और चार वर्षों तक ट्रंप को देश के राष्ट्रपति के रूप में बर्दाश्त नहीं कर सकता है. अमेरिका को केवल एक चीज अलग-थलग कर सकती है, वह खुद अमेरिका है और डोनाल्ड ट्रंप शुरुआत से यही करते आ रहे हैं, उनकी कार्यशैली अमेरिका को विभाजित करने की है. अमेरिकियों को नस्ल, जाति और राष्ट्रीय मूल के आधार पर एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करना. यह सरासर गलत है. लेकिन हम ऐसे नहीं हैं. हर कोई जानता है कि डोनाल्ड ट्रंप कौन हैं. अब वक्त आ गया है कि उन्हें बताएं कि हम कौन हैं. बाइडेन ने जो कहा है कि उस पर अब उन्हें चल कर दिखाना होगा.

“मेरा अभियान डेमोक्रेट, रिपब्लिकन, निर्दलीय, डेमोक्रेट-रिपब्लिकन पदाधिकारियों का मिला जुला है. मैं एक गौरवांवित डेमोक्रेट के रूप में इस चुनाव में उतरा हूं, लेकिन मैं एक अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शासन करूंगा”

बाइडेन को मिलेगा अस्त-व्यस्त अमेरिका

द इकोनॉमिस्ट मैग्जीन में प्रकाशित एक लेख में बताया गया है कि जो बाइडेन जिस अमेरिका पर राज करेंगे या जिस स्थिति में बाइडेन को अमेरिका मिल रहा है, वह बुरी से विभाजित है. इस चुनाव ने एक बार फिर दर्शाया है कि अमेरिका एक विभाजित देश है. उसके कई नेता सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देते हैं, लेकिन ट्रंप के जैसा किसी अन्य नेता ने देश को इतना अधिक विभाजित नहीं किया है. लेख में यह भी कहा गया है कि बाइडेन का कार्यकाल ट्रंप के मुकाबले काफी अलग दिखेगा. उनके आने के बाद राष्ट्रपति के बेतुके, आक्रामक और देश को बांटने वाले ट्वीट देखने को नहीं मिलेंगे, क्योंकि बाइडेन बहुत ही शालीन, शांत और दरियादिल इंसान हैं. व्हाइट हाउस में स्थिरता और शराफत बहाल कर सकते हैं.

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चीन की चुनौती

ट्रंप सामने से तो यही कहते रहे कि चीन को उन्होंने पीछे छोड़ दिया है लेकिन हकीकत ये है कि उनकी उपटांग नीतियों के कारण अमेरिका को ज्यादा नुकसान हुआ. अब बाइडेन के सामने चुनौती होगी कि वो चीन के मोर्चे पर अमेरिका को जीत दिलाएं. तीसरी प्रेसीडेंटियल डिबेट के दौरान बाइडेन ने कहा था कि,

“चीन को दंडित करने के लिए मैं अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार कार्रवाई करूंगा. चीन को भी अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार ही चलना होगा.”

वहीं अप्रैल में विदेश नीति पर लिखे एक लेख में बाइडन ने इस पर जोर दिया था कि अमेरिका को चीन पर कड़ा रुख बनाने की की जरूरत है. BBC के अनुसार बाइडेन के विजन डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि भविष्य में चीन या किसी और देश के खिलाफ प्रतिद्वंद्विता में आगे रहने के लिए हमें अपनी नयेपन की धार को और तेज करना होगा साथ ही दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों की आर्थिक ताकत को एकजुट करना होगा.

  • बाइडेन संभवतः चीन के साथ एक रीसेट जैसे कुछ प्रयासों के साथ अपनी शुरुआत कर सकते हैं.
  • बाइडेन इंडो-पैसिफिक में गठजोड़ बनाने और बड़ी संभावनाएं जगाने के लिए बेहतर साबित हो सकते हैं.

अन्य चुनौतियां

राष्ट्रपति चुनाव में कांटे की टक्कर का अर्थ है, बाइडेन की राह आसान नहीं रहने वाली.

  • जलवायु पर पेरिस समझौते से बाहर निकल चुके अमेरिका बाइडेन अब किस तरह ले जाते हैं, इस पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी.
  • बिग टेक कंपनियों के खिलाफ एक्शन - हाल ही में बिग टेक कंपनियों के एकाधिकार को लेकर अमेरिकी जस्टिस विभाग ने मुकदमा शुरू किया है. अब बाइडेन के सामने इनकी ताकत को कम करने की चुनौती होगी.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के रिश्ते खराब हुए हैं, इसका असर पूरी मानवता के सेहत पर हो रही है और होगी. इसे ठीक करना भी बाइडेन की चुनौती होगी.
  • सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी बहुमत न होने का मतलब है कि बाइडेन को विधेयक पास कराने और जजों की नियुक्तियों में कठिनाई होगी.
  • बाइडेन के लिए बड़ी चुनौती यह भी रहेगी कि उन्हें सरकार में करीब 4,000 राजनीतिक नियुक्तियां करनी होंगी, यानी ऐसे लोग जिन्हें बाइडेन और उनकी टीम के सदस्य विशेष रूप से चुनेंगे.
  • ट्रंप पर पिछले वर्ष महाभियोग चल चुका है. पुलिस के हाथों अश्वेतों की मौत के विरोध में उग्र आंदोलन हुए हैं. कई शहरों में हिंसा भड़की, लेकिन विभाजनकारी राजनीति का असर कायम रहा.

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