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स्टेन स्वामी के निधन पर USCIRF ने की निंदा, सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए अपील

स्टेन स्वामी को पिछले साल गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था

क्विंट हिंदी
दुनिया
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<div class="paragraphs"><p>Stan Swamy</p></div>
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Stan Swamy

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने भारत में स्टेन स्वामी के निधन को लेकर निंदा की है. USCIRF चेयर Nadine Maenza के बयान में कहा गया है, ''फादर स्टेन स्वामी की मौत भारत के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के गंभीर और मौजूदा उत्पीड़न की याद दिलाती है. USCIRF ने लगातार बात की थी, जब फादर स्वामी को गिरफ्तार किया गया और जमानत से वंचित कर दिया गया था, विशेष रूप से उनके स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट को देखते हुए भी, क्योंकि वे पार्किंसंस रोग से पीड़ित थे और जेल में रहते हुए COVID-19 पॉजिटिव भी हुए थे, और उन्हें जेल अधिकारियों की ओर से कोई समर्थन नहीं दिया गया था.''

इसके अलावा बयान में कहा गया है, ''हम अमेरिका से भारत सरकार को जवाबदेह ठहराने और अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों में धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं को उठाने का अनुरोध करते हैं.''

बता दें कि स्टेन स्वामी को पिछले साल गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था और सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई. कई बीमारियों से पीड़ित स्वामी कस्टडी में कोरोना वायरस से संक्रमित भी पाए गए थे.

कई भारतीय-अमेरिकी समूहों ने फादर स्टेन स्वामी की मौत पर दुख जताया है. ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनए’ (एफआईएसीओएनए) ने एक बयान में कहा कि वह एक बहादुर व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत में आदिवासियों की रक्षा और उनकी मदद करने के लिए अथक परिश्रम किया.

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एफआईएसीओएनए ने कहा, ‘‘एक सरल और नम्र व्यक्ति, फादर स्वामी एक ऐसी व्यवस्था के खिलाफ खड़े थे, जो गरीब आदिवासियों और उनके संसाधनों के संप्रभु अधिकारों का शोषण करने को आमादा है.’’

वहीं, ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ के उपाध्यक्ष जॉर्ज अब्राहम ने कहा था, ‘‘ यह भारत में लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है और राष्ट्रीय नेतृत्व और न्यायपालिका के सदस्यों को शर्म से सिर झुकाना चाहिए. फादर स्वामी को हिरासत में लेना और जेल में उनके साथ जो व्यवहार हुआ, उस कारण उनकी मौत हुई. यह राष्ट्र की चेतना पर धब्बा है और न्याय का उपहास है.’’

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