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हॉन्ग कॉन्ग छोड़ US आई वैज्ञानिक बोलीं- चीन ने कोरोना का सच छुपाया

मैं अमेरिका इसलिए आई थी कि COVID-19 का सच बता सकूं: ली-मेंग यान

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मैं अमेरिका इसलिए आई थी कि COVID-19 का सच बता सकूं: ली-मेंग यान
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मैं अमेरिका इसलिए आई थी कि COVID-19 का सच बता सकूं: ली-मेंग यान
(फोटो: Foz News Video)

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कोरोना वायरस से दुनियाभर में 1 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. अमेरिका समेत कई देश इस महामारी के बारे में जानकारी छुपाने का आरोप चीन पर लगाते आए हैं. सबसे पहले संक्रमण का मामला चीन के वुहान में ही पता चला था. अब हॉन्ग कॉन्ग के एक वैज्ञानिक ने खुलासा किया है कि चीन को इस वायरस के बारे में उसके दावा करने से पहले से पता था.

हॉन्ग कॉन्ग से अमेरिका पहुंची विरोलॉजिस्ट ली-मेंग यान ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि चीन की दुनिया के प्रति जवाबदेही थी. हॉन्ग कॉन्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में विरोलॉजी और इम्यूनॉलॉजी में स्पेशलाइजेशन करने वालीं ली-मेंग यान ने कहा, "चीन में WHO रेफरेंस लैब है जो इन्फ्लुएंजा वायरस और महामारियों के लिए स्पेशलाइज्ड है और इसलिए चीन की जवाबदेही बनती थी."

'मेरी रिसर्च जिंदगियां बचा सकती थी'

ली-मेंग यान ने कहा कि महामारी की शुरुआत में वो जिस रिसर्च पर काम कर रही थीं, उससे जिंदगियां बच सकती थीं लेकिन उनके सुपरवाइजरों ने उसे नजरअंदाज कर दिया.

यान का कहना है कि वो दुनिया में COVID-19 को स्टडी करने वाले पहले वैज्ञानिकों में से एक हैं. यान ने बताया, "यूनिवर्सिटी/WHO रेफरेंस लैब में मेरे सुपरवाइजर ने पिछले साल मुझसे दिसंबर 2019 के आखिर में मेनलैंड चीन से SARS-जैसे मामलों के क्लस्टर को देखने को कहा था. चीन ने किसी भी विदेश एक्सपर्ट को अपने वहां रिसर्च नहीं करने दिया, यहां तक की हॉन्ग कॉन्ग के एक्सपर्ट्स को भी."

यान ने कहा कि जल्द ही वो और उनके साथी एक खास तरह के वायरस के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन अचानक उन्हें टोन में कुछ बदलाव दिखा.

जो डॉक्टर और रिसर्चर्स खुलेआम बात कर रहे थे, अचानक से चुप हो गए. वुहान के डॉक्टर एकदम चुप हो गए और बाकी लोगों को उनसे डिटेल न पूछने की चेतावनी दी गई. डॉक्टर कहने लगे कि हम इसके बारे में बात नहीं कर सकते लेकिन हमें मास्क पहनना होगा. मेरे सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद इंसान से इंसान में ट्रांसमिशन तेजी से फैला था.  
ली-मेंग यान, वैज्ञानिक
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देश छोड़ने का किया फैसला

यान का कहना है कि इस प्रकरण के बाद उन्होंने देश छोड़ने का फैसला कर लिया था. 28 अप्रैल को वो कैंपस के सेंसर और वीडियो कैमरों से बचते हुए अमेरिका की एक फ्लाइट में बैठ गई थीं.

ली-मेंग यान ने बताया कि उनके देश की सरकार अब उनकी इज्जत की धज्जियां उड़ा रही है और उन्होंने 'सरकारी गुंडों' पर साइबर अटैक का आरोप भी लगाया.

यान ने मीडिया को बताया कि हॉन्ग कॉन्ग सरकार ने उनके अपार्टमेंट को तहस नहस कर दिया और उनके माता-पिता से पूछताछ की. यान ने कहा कि जब उन्होंने अपने परिवार से बात की तो उन्होंने यान से वापस आने की विनती की और ये लड़ाई छोड़ देने को कहा. यान का मानना है कि उनकी जिंदगी अभी भी खतरे में है.

मैं अमेरिका इसलिए आई थी कि COVID-19 का सच बता सकूं. अगर मैंने ये चीन में किया होता तो गायब हो जाती या मार दी जाती.  
ली-मेंग यान, वैज्ञानिक

इस बीच हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी ने उनके पेज को हटा दिया है और उनसे सभी एक्सेस भी ले लिए हैं, जबकि यान का कहना है कि वो अप्रूवड एनुअल लीव पर हैं. फॉक्स न्यूज को दिए एक बयान में यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा कि यान अभी उनकी एम्प्लॉई नहीं है.

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