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दुनियाभर में कोरोना वायरस के 41 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. चीन के वुहान से शुरू हुई इस महामारी ने लगभग हर देश को अपनी चपेट में लिया है. WHO ने 11 मार्च को कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया था. इससे पहले WHO इसे लेकर दुनियाभर में चेतावनी दे चुका था. लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने संगठन से इस चेतावनी में देरी करने के लिए कहा था. अब WHO ने इस रिपोर्ट को झूठा बताया है.
जर्मनी की न्यूज मैगजीन Der Spiegel की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने WHO के डायरेक्टर जनरल तेदरोस अदहानोम गेब्रेयसस को फोन करके कोरोना ऑउटब्रेक के संबंध में 'वैश्विक चेतावनी' में देरी करने को कहा था. ये फोन कॉल जनवरी में की गई थी.
Der Spiegel ने अपनी रिपोर्ट में जर्मनी की फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस (BND) की इंटेलिजेंस का हवाला दिया है. BND ने जिनपिंग और WHO के डायरेक्टर जनरल तेदरोस की बातचीत की इंटेलिजेंस हासिल की है. इसके मुताबिक, 21 जनवरी को दोनों ने कॉल पर बात की, जिसके दौरान जिनपिंग ने तेदरोस से 'इंसान से इंसान में होने वाले ट्रांसमिशन की जानकारी न देने और महामारी की चेतावनी में देरी' करने को कहा था.
Der Spiegel की रिपोर्ट सामने आने के बाद WHO ने ट्वीट कर इसे झूठा बताया है. WHO ने कहा कि शी जिनपिंग और तेदरोस के बीच कभी कोई फोन कॉल नहीं हुई है.
एक और ट्वीट में WHO ने बताया कि चीन ने इंसान से इंसान में कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन की पुष्टि 20 जनवरी को की थी. 22 जनवरी को WHO ने घोषणा की थी कि "डेटा के मुताबिक वुहान में इंसान से इंसान में कोरोना वायरस का ट्रांसमिशन हो रहा है".
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई मौकों पर WHO पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगा चुके हैं. ट्रंप ने संगठन को 'चीन केंद्रित' भी करार दे चुके हैं. ट्रंप ने WHO को अमेरिका से मिलने वाली फंडिंग पर भी रोक लगा दी है.
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