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William Ruto: नंगे पैर गए स्कूल,सड़क पर बेचा चिकन,केन्या के राष्ट्रपति की कहानी

kenya के पांचवें राष्ट्रपति विलियम रूटो ने पंद्रह साल की उम्र में पहली बार पहने थे एक जोड़ी जूते आज हैं टॉप के अमीर.

अजय कुमार पटेल
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>विलियम रूटो हाल ही में केन्या के पांचवें राष्ट्रपति बने हैं.</p></div>
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विलियम रूटो हाल ही में केन्या के पांचवें राष्ट्रपति बने हैं.

फोटो : अल्टर्ड बाय क्विंट हिंदी

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विलियम रूटो (William Ruto) ने हाल ही में केन्या के पांचवें राष्ट्रपति के तौर पर गद्दी संभाली है. चुनाव परिणाम आने के बाद रूटो पर कथित तौर पर राष्ट्रपति चुनाव (Kenya presidential election) में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जीत को बरकरार रखते हुए उनकी जीत को मान्य कर दिया है.

इस समय रूटो केन्या के सबसे अमीर लोगों में शुमार हैं, लेकिन उन्होंने चुनाव के दौरान खुद को 'हसलर्स' यानी गरीबों और दलितों के चैंपियन के तौर पर दिखाया था. आखिरकार उनकी रणनीत सफल रही और 55 साल के रूटो अपने पहले ही राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की. रूटो का बचपन कई गरीब केन्याई लोगों के जीवन का प्रतीक है. आइए रूटो के जीवन के शुरुआती संघर्ष से लेकर राष्ट्रपति की गद्दी तक पहुंचने की पूरी कहानी पर नजर डालते हैं.

नंगे पैर स्कूल गए, गांव में सड़क के किनारे चिकन और मूंगफली बेचा

विलियम रूटो का जन्म 21 दिसंबर 1966 में कामागुट, उसिन गिशु काउंटी के सुगोई में डैनियल चेरुइयोट और सारा चेरुइयोट के घर हुआ था. उन्होंने अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा केरोटेट प्राइमरी स्कूल से हासिल की थी. फिर ओ-लेवल की पढ़ाई के लिए गिशु काउंटी के वेरेंग सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया और उसके बाद ए-लेवल की पढ़ाई उन्होंने नंदी काउंटी के कप्सबेट बॉयज हाई स्कूल से की थी. इसके बाद उन्होंने नैरोबी विश्वविद्यालय से बीएससी (बॉटनी और जूलॉजी) की डिग्री प्राप्त करते हुए 1990 में ग्रेजुएशन पूरा किया.

इस पड़ाव के कई साल बाद विलियम रूटो ने एक बार फिर नैरोबी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और 2011 में प्लांट इकोलॉजी से एमएससी की पढ़ाई पूरी की. इसके अगले ही साल यानी 2012 में उन्होंने पीएचडी में नामांकन कराया और 21 दिसंबर 2018 को उन्होंने पीएचडी की उपाधि हासिल की थी.

विलियम रूटो उपाधि प्राप्त करने के बाद

फोटो : नैरोबी यूनिवर्सिटी की वेबसाइट से 

विभिन्न रिपोर्ट्स में बताया गया है कि विलियम रूटो का बचपन काफी संघर्ष और कठिन परिस्थितियों में बीता है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार वे नंगे पैर स्कूल जाते थे, 15 साल की उम्र में विलियम को पहली एक बार जोड़ी जूते मिले थे. वे बचपन में रिफ्ट वैली के ग्रामीण इलाकों में सड़क के किनारे चिकन और मूंगफली बेचा करते थे.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार विलियम केन्या के तीसरे सबसे बड़े जातीय समूह कलेंजिन से आते हैं. बचपन में वे गाय और भेड़ों को भी चराते थे, इसके अलावा खरगोशों का शिकार करते थे.

चर्च में हुई थी राचेल से पहली मुलाकात, 1991 में हुए एक-दूसरे के साथ

विलियम युवावस्था में चर्च में क्वॉयर मेंबर थे यानी वे चर्च में गायन-वादन करने वाले समूह का हिस्सा थे. लगभग 10 साल पहले अपने एक इंटरव्यू में खुद विलियम रूटो ने अपनी लव लाइफ के बारे में बात करते हुए कहा था कि "वह (राचेल) मेरी तरह ही क्वॉयर मेंबर थी. हम दोनों इवांजिलिस्टिक टीम के मेंबर थे. हमारी पहली मुलाकाल यहीं हुई थी." बाद में 1991 में विलियम और रूटो ने शादी की थी.

विलियम और राचेल रूटो

फोटो : राचेल रूटो के ट्विटर हैंडल से

विलियम और राचेल की सात बच्चों के पेरेंट्स हैं. जिनके नाम - निक, जून, चार्लेन, स्टेफनी, जॉर्ज, नाडिया चेरोप और एबी रूटो.

ग्रेजुएशन के बाद राजनीति में बढ़ाया पहला कदम, दमदार स्पीच और रणनीति से सबको करते हैं परास्त

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद विलियम रूटो ने 1992 में राजनीति में अपने कदम रखे थे. विलियम के अनुसार उस समय राष्ट्रपति डेनियल अराप मोई (Daniel arap Moi) ने उन्हें राजनीति में आने की सलाह दी थी.

रूटो, डेनियल मोई की कानू पार्टी के यूथ विंग का हिस्सा थे. उसी साल (1992 में) केन्या में आजादी के बाद पहली बार कोई आम चुनाव मल्टी पार्टी सिस्टम से लड़ा गया गया. ये पहला मौका था जब वोटर्स ने प्रेसीडेंट और नेशनल असेंबली के सदस्यों को चुनने के लिए मतदान किया.

1992 में रूटो ने नैरोबी विश्वविद्यालय में तत्कालीन राष्ट्रपति डेनियल अराप मोई के लिए बैठक और प्रचार के लिए एक चर्च लीडरशिप के माध्यम से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी.

1997 में रूटो ने एल्डोरेट नॉर्थ निर्वाचन क्षेत्र की संसदीय सीट पर चुनाव लड़ा और उसमें जीत हासिल की. इसके बाद 2002 में वे फिर से चुने गए.

रूटो को एक ऐसे वक्ता के तौर पर जाना जाता जो रैलियों में भारी भीड़ को लाने सक्षम है. वे एक पावरफुल वक्ता हैं, मीडिया के साथ इंटरव्यू के दौरान भी उनका प्रदर्शन काफी स्ट्राॅन्ग रहता है. रूटो अक्सर अपने वक्तव्य की शुरुआत "माई फ्रेंड" कहकर करते हैं, उनके इस संबोधन से जहां एक ओर वोटर्स एक जुड़ाव महसूस करते हैं वहीं दूसरी ओर उनके आलोचक खुद को निहत्था महसूस करने लगते हैं.

केन्या की राजनीतिक रंग मतभेदों पर नहीं बल्कि सुविधाजनक भागीदारों के अनुसार बदलता रहता है. रूटो शुरुआती दौर में तत्कालीन राष्ट्रपति मोई की पार्टी में युवा विंग के सदस्य थे, वे आंदोलनों में शामिल होते थे. केन्या में मोई अपने दौर के सबसे ताकतवर राजनेताओं में से एक थे, उस समय रूटो ने उनके जमकर काम किया. बाद में रूटो शिक्षा और कृषि के साथ-साथ विभिन्न मंत्री पद संभाले हैं, वे केन्या के सबसे कम उम्र के सांसदों और मंत्रियों में से एक बन गए थे.

1997 में जब रूटो ने एल्डोरेट नॉर्थ के अपने घरेलू क्षेत्र की एक सीट पर चुनाव लड़कर अपने संसदीय करियर की शुरुआत करने की कोशिश की थी, तब मोई ने रूटो के बारे में कहा था कि रूटो एक अत्यंत गरीब शख्स है.

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2007 में विवादित चुनावों के दौरान रूटो ने ओडिंगा का समर्थन किया था. लेकिन 2013 में फिर से पाला बदल लिया और उहुरु केन्याटा के डिप्टी प्रेसीडेंट बन गए. रूटो ने इसके बाद दो चुनावों में अपने बॉस (उहुरु केन्याटा) का समर्थन इसलिए किया, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि इस बार के चुनाव में केन्याटा उनका समर्थन करेंगे.

लेकिन 2018 में एक नाटकीय राजनीतिक मोड़ आता है. केन्याटा और ओडिंगा, जो लंबे समय समय से एक-दूसरे के दुश्मन थे उन्होंने दोस्ती का हाथ मिला लिया. इसके बाद रूटो अलग-थलग पड़ गए.

दमदार वापसी, सरकार पर हमला और केन्या को उम्मीद की नई किरण दिखाई

इसके बाद रूटो ने इस बार के चुनाव को टारगेट करते हुए रणनीति बनाई और शानदार कैंपेन के साथ वापसी की. यह कैंपेन उनके प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ था, उन्होंने केन्या के आर्थिक संकट के लिए सरकार को दोषी ठहराया. इसके अलावा रूटो ने राष्ट्रपति पर उन्हें (रूटो) और अपने परिवार को धमकी देने का आरोप लगाया.

बर्मिंघम विश्वविद्यालय ब्रिटेन के एक पॉलिटिकल साइंटिस्ट निक चेसमैन ने मतदान से पहले कहा था कि "रूटो को कई लोग केन्याई राजनीति में सबसे प्रभावी रणनीतिकारों में से एक के तौर पर देखते हैं."

कैंपेन के दौरान रूटो यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस के चमकीले पीले रंग में रंगे हुए दिखे. इस अलायंस का प्रतीक चिन्ह हम्बल व्हीलब्रो (हाथ ठेला) है. रूटो ने उन लोगाें तक पहुंचने का प्रयास किया जिनका जीवन कोविड और बाद में यूक्रेन युद्ध की वजह से भयानक आर्थिक संकट में आ गया है. इस चुनाव के दौरान रूटो ने खुद को 'हसरल-इन-चीफ' यानी गरीबों और दलितों के चैंपियन के तौर पर चित्रित किया था.

चुनाव के दौरान रूटो ने पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा को लेकर कहा था कि "यह लड़ाई एक सामान्य 'हसलर्स' और 'राजवंश' के बीच की है. जहां एक ओर हम हसलर्स खाने लिए संघर्ष कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर ओडिंगा (राजवंश) दशकों से केन्या की राजनीति पर हावी थे."

"हम चाहते हैं कि केवल शीर्ष पर बैठे कुछ लोग ही नहीं बल्कि हर कोई इस देश की दौलत को महसूस करे." चुनाव अभियान के दौरान रूटो ने "बॉटम अप" इकोनॉमी के प्लान को लेकर अपनी बातें रखीं.

प्रतिद्वंद्वियों पर कीचड़ उछालने के बाद हालांकि रूटो ने जीत के बाद नरम और समझौतापूर्ण शब्दों में कहा कि "हम सभी नेता साथ में काम करेंगे." "यहां प्रतिशोध के लिए कोई जगह नहीं है, मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि हमारा देश ऐसे दौर में है जहां हमें डेक पर सभी की जरूरत है."

गरीबी सहने वाला आज दिग्गज अमीरों में शुमार, विवादों का भी रहा है साथ

विलियम रूटो देश के तीसरे सबसे बड़े जातीय समूह कलेंजिन से आते हैं, पूर्व राष्ट्रपति मोई भी इसी समुदाय के थे. विलियम रूटो ने एक बार कहा था कि "मैंने बचपन में अपने घर के पास रेलवे क्रॉसिंग पर चिकन बेचा था. अपने भाई-बहनों की स्कूल फीस चुकाई थी. भगवान ने मुझ पर कृपा की है और कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से मेरे पास कुछ है."

रूटो को खेती-किसानी का शौक है, उन्हें मक्का, डेयरी और मुर्गी पालन के क्षेत्र में काम करते देखा गया है. रूटो के कई धंधे हैं जिसमें होटल, रियल एस्टेट और बीमा के साथ-साथ एक विशाल चिकन फार्म भी शामिल है. पश्चिमी और तटीय केन्या में रूटो की बड़ी-बड़ी जमीनों के टुकड़े हैं.

आज विलियम रूटो के पास कई मिलियन डाॅलर की संपत्ति है. केन्यन मूव न्यूज वेबसाइट के अनुसार रूटो की नेटवर्थ केन्याई मुद्रा में 45 बिलियन के आसपास है.

रूटो को सरकार में भ्रष्टाचार के घोटालों से जोड़ा गया है और उनकी संपत्ति के स्रोत को लेकर काफी अटकलें लगाई जाती हैं. जून 2013 में हाईकोर्ट ने रूटो को 100 एकड़ (40-हेक्टेयर) खेत का सरेंडर करने और एक किसान को मुआवजा देने का आदेश दिया था. उस किसान ने रूटो पर 2007 के चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान भूमि हथियाने का आरोप लगाया था.

2013 में रूटो पर 2007 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद कथित रूप से जातीय हिंसा को उकसाने के लिए मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप लगाया गया था. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने रूटो और तत्कालीन राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा पर हिंसा का आरोप लगाया था, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 6,00,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए थे. हालांकि 2016 में रूटो पर लगे आरोप ध्वस्त हो गए थे.

मीडिया द्वारा जब उनकी संपत्ति के लेकर सवाल किया गया था तो रूटो ने एक बार स्थानीय मीडिया से कहा था कि "मेरे पास हर सिक्के का हिसाब है."

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