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कोरोना: दोबारा संक्रमण का पहला केस हॉन्ग कॉन्ग में,ICMR का रियक्शन

3-4 महीने ही काम करेंगी एंटीबॉडीज?

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कोरोना से दोबारा संक्रमित होने का पहला केस हॉन्ग कॉन्ग में मिला
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कोरोना से दोबारा संक्रमित होने का पहला केस हॉन्ग कॉन्ग में मिला
(फोटो: iStock)

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कोरोना वायरस से दोबारा संक्रामित (रिइंफेक्शन) होने का पहला मामला हॉन्ग कॉन्ग में सामने आया है. एक टेक्नोलॉजी कंपनी में काम करने वाला 33 वर्षीय शख्स इसका शिकार बना है. क्या कोरोना वायरस एक व्यक्ति को दोबारा संक्रमित कर सकता है? क्या वायरस के खिलाफ बनीं एंटी बॉडीज किसी निश्चित समय तक ही काम करती हैं? ये कुछ सवाल वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बने हुए थे. लेकिन रिइंफेक्शन का पहला मामला सामने आने के बाद इन सवालों का जवाब मिल गया है.

सर्दी में और मुश्किलें होंगी

हॉन्ग कॉन्ग में युवक के अंदर रिइंफेक्शन की पुष्टि होने के बाद एक बात साफ है कि कोविड19 की इम्युनिटी ज्यादा दिन नहीं टिकती है. सर्दी के मौसम में कोरोना वायरस के संक्रमण के हालात और बिगड़ने की आशंका है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना कितनी बड़ी और भयावह बीमारी है, ये आम आदमी अभी भी नहीं समझ रहा है.

33 वर्षीय इस चीनी शख्स में कोरोना वायरस से ठीक होने के 4 महीने बाद फिर से संक्रमण पाया गया है. इससे पहले वो अप्रैल के महीने में संक्रमित हुआ था. इसके अलावा भी कई लोगों ने दोबारा कोरोना संक्रमित होने का दावा किया, लेकिन दुनिया का पहला रिइंफेक्शन का केस इस युवक का ही माना जा रहा है. 

यूरोप ट्रिप से वापस आए, एयरपोर्ट पर पॉजिटिव निकले!

शख्स के यूरोप ट्रिप से वापस आने की बात भी सामने आई है. एयरपोर्ट पर ही स्क्रीनिंग के दौरान उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. हालांकि, शख्स में कोई भी लक्षण नहीं थे. वो स्वस्थ था. इससे वैज्ञानिकों का मानना है कि रिइंफेक्शन किसी को भी हो सकता है. साथ ही संभावना है कि कोरोना वायरस इंसानी शरीर में लंबे समय के लिए बिना लक्षण पैदा किए रह सकता है.

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3-4 महीने ही काम करेंगी एंटीबॉडीज?

इम्युनिटी को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद 3 से 4 महीने में दोबारा संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसलिए कोरोना से ठीक होने वाले सभी मरीजों को हर तरह क एहतियात बरतनी चाहिए.

हालांकि हर किसी के शरीर और खान पान के अनुसार उनकी इम्युनिटी 3-4 महीने से कम या ज्यादा भी हो सकती है. एंटीबॉडीज कितने दिन काम करती हैं, इस पर वैज्ञानिक अभी शोध कर ही रहे हैं.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि उन्होंने इस मामले को देखा है और वो इस पर नजर बनाए हुए हैं. ICMR ने कहा कि ये मरीज के इम्युन स्टेटस से संबंधित हो सकता है या शायद वायरस म्युटेट कर गया है.

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