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भारतीय इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को मलेशियाई सरकार की सख्ती के सामने झुकना पड़ गया. जाकिर ने नक्सली टिप्पणी को लेकर माफी मांग ली है. जाकिर ने ये माफी उसे मलेशिया से निष्कासित करने की मांग तेज होने के बाद मांगी है. एक दिन पहले ही पुलिस ने उससे पूछताछ की थी.
कट्टर उपदेशक जाकिर नाइक ने 9/11 के हमलों को ‘अंदरूनी काम’ बताया था. वो 2016 में भारत छोड़कर मुस्लिम बहुल देश मलेशिया चला गया था. बाद में उसने यहीं की नागरिकता ले ली.
भारत में जाकिर नाइक कट्टरपंथ को भड़काने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. भारत ने पिछले साल मलेशिया से उसे प्रत्यर्पित करने के लिए कहा था लेकिन भारत के आग्रह को खारिज कर दिया गया.
जाकिर नाइक ने कहा कि मलेशिया में हिंदुओं को भारत के अल्पसंख्यक मुस्लिमों की तुलना में ‘सौ गुना’ ज्यादा अधिकार हासिल हैं. साथ ही उसने कहा कि उसे निष्कासित करने से पहले चीनी मूल के मलेशियाई लोगों को निकाला जाना चाहिए. उसकी इस टिप्पणी के बाद उसे निकाले जाने की मांग तेज हो गई.
पुलिस ने 19 अगस्त को उससे दस घंटे तक इस संदेह पर पूछताछ की कि वह जानबूझकर इस तरह की भड़काऊ बातें करता है ताकि शांति भंग की जा सके. 20 अगस्त को नाइक ने कहा कि उसके विरोधियों ने उसके बयान का अलग मतलब निकाया है. उसने कहा, ‘‘मेरा इरादा कभी किसी व्यक्ति या समुदाय को आहत करना नहीं था.’’
सरकारी संवाद समिति बेरनामा ने खबर दी कि प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा कि नाइक ने हदें लांघ दीं और कैबिनेट के कई मंत्रियों ने उसे निकाले जाने की अपील की. साथ ही पुलिस ने उसे मलेशिया में कहीं भी सार्वजनिक भाषण देने से रोक दिया है.
मलेशिया की तीन करोड़ 20 लाख की आबादी में करीब 60 फीसदी निवासी मुस्लिम हैं और यहां काफी संख्या में भारतीय और चीनी समुदाय के लोग भी रहते हैं.
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