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जिम्बाब्वे की सेना ने देश की सत्ता को अपने हाथों में ले लिया है. वहां के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे और उनकी पत्नी को हिरासत में ले लिया गया है और राजधानी की सड़कों पर सेना गश्त कर रही है.
सेना की ओर से रात में उठाए गए इन कदमों को लेकर तख्तापलट की अटकलें शुरू हो गईं हैं, लेकिन सेना के समर्थकों ने इसकी तारीफ करते हुए इसे रक्तहीन सुधार करार दिया है. वहीं दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा कि उन्होंने मुगाबे से बात की है और वो ठीक हैं, लेकिन उन्हें उनके घर में ही रोक कर रखा गया है.
जिम्बाब्वे में ये पहली बार हुआ है जब सेना ने मुगाबे का विरोध किया है. 93 साल के मुगाबे 1980 से इस देश में शासन कर रहे हैं. सेना की गाड़ियों ने हरारे में संसद के बाहर की सड़कों को पूरी तरह से बंद कर दिया. सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने रात के समय राष्ट्रीय टेलीविजन पर देश को संबोधित किया.
मेजर जनरल सिबुसिसो मोयो ने कहा, हम राष्ट्र को ये आश्वासन देना चाहते हैं कि राष्ट्रपति और उनका परिवार सही सलामत है और उनकी सुरक्षा की गारंटी है. जनरल ने कहा, हम केवल उनके आस-पास उन अपराधियों को निशाना बना रहे हैं, जो अपराध कर रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि जैसे ही हमारा अभियान पूरा होगा, हालात दोबारा सामान्य हो जाएंगे. मोयो ने कहा, ये सैन्य तख्तापलट नहीं है.
मुगाबे के शासन की लंबे समय से समर्थक रही सेना और 93 साल के नेता के बीच तनाव हालिया दिनों में सार्वजनिक हो गया.
सेना प्रमुख जनरल कांन्सटैनटिनो चिवेंगा ने उपराष्ट्रपति एमरसन मनांगाग्वा को बर्खास्त किए जाने की निंदा की थी जिसके बाद सत्तारुढ जेडएएनयू-पीएफ पार्टी ने मंगलवार को चिवेंगा पर राजद्रोह संबंधी आचरण का आरोप लगाया था.
मनांगाग्वा की बर्खास्तगी के बाद मुगाबे की पत्नी ग्रेस (52) अगले राष्ट्रपति के तौर पर अपने पति की उत्तराधिकारी बनने की प्रबल दावेदार बन गई हैं. सेना में वरिष्ठ रैंक के अधिकारियों ने राष्ट्रपति पद के लिए ग्रेस की दावेदारी का कड़ा विरोध किया है.
मुगाबे के निजी आवास के बाहर लंबे समय तक गोलीबारी की आवाज सुनी गई और रात में हालात खराब हो गए. हालात खराब होने के मद्देनजर हरारे में अमेरिकी दूतावास ने देश में मौजूद अपने नागरिकों को चेताया है कि जारी राजनीतिक अस्थिरता के कारण वे सुरक्षित जगहों पर रहें.
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