advertisement
नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)| कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को यस बैंक संकट पर मोदी सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि यस बैंक की विफलता वित्तीय संस्थानों के कुप्रबंधन का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि भारत के पांचवें सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक की स्थिति भाजपा सरकार के तहत वित्तीय संस्थानों के कुप्रबंधन के कारण चरमराई है। पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें पता है कि सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस कहानी को मीडिया से गायब करना चाहेंगी। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके बेहतरीन प्रयासों के बावजूद भाजपा की ओर से वित्तीय संस्थानों का कुप्रबंधन एक ऐसा मुद्दा होगा, जो सार्वजनिक तौर पर सभी के सामने रहेगा और इस पर बड़े पैमाने पर बहस होगी।
उन्होंने यस बैंक के मुद्दे को उठाने के लिए मीडिया को धन्यवाद दिया, क्योंकि अब यह ज्यादातर लोगों तक पहुंच गया है, जो अर्थव्यवस्था के बारे में चिंतित हैं।
चिदंबरम ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यस बैंक के एक शेयर की कीमत 36.80 रुपये से गिरकर 16.15 रुपये हो गई है। उनकी टिप्पणी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा यस बैंक के बोर्ड को 30 दिनों के लिए हटाने के फैसले के दो दिनों बाद आई है।
आरबीआई ने बैंक के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया है और साथ ही बैंक के खाताधारकों को एक महीने में अधिकतर 50,000 रुपये तक निकालाने की मंजूरी दी है।
पूर्व एसबीआई सीएफओ प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यस बैंक की देशभर में 1,000 से अधिक शाखाएं और 1,800 से अधिक एटीएम हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि बैंक 2017 से नजर में है और इससे संबंधित घटनाक्रम की दिन-प्रतिदिन निगरानी की जा रही है।
चिदंबरम ने कहा कि साल 2017 से सरकार यस बैंक की निगरानी कर रही है, इसके बावजूद बैड लोन (फंसा हुआ कर्ज) बढ़ता गया।
इस दौरान उन्होंने बैंक के ऋण संबंधित आंकड़े भी पेश किए। इन आंकड़ों के मुताबिक यस बैंक का जो आउटस्टैंडिंग लोन (फंसा हुआ कर्ज) 2014 में 55,633 करोड़ रुपये था, वो मार्च, 2019 में बढ़कर 2,41,499 करोड़ रुपये हो गया है। यानी सिर्फ पांच सालों में यस बैंक का फंसा हुआ कर्ज चार गुना से भी अधिक बढ़ गया है।
इसके साथ ही चिदंबरम ने सरकार से सवाल पूछा कि बैंक के सीईओ को बदला गया था, तब भी कुछ क्यों नहीं बदला। जबकि यस बैंक के तिमाही नतीजे भी लगातार घाटे में आ रहे थे। चिदंबरम के मुताबिक, यस बैंक को बचाने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) पर दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
बता दें कि यस बैंक में एसबीआई 49 फीसदी शेयर खरीदने की तैयारी कर रहा है। एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार के मुताबिक, फिलहाल यस बैंक में 2450 करोड़ रुपये निवेश किया जाएगा।
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)