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उन्होंने दावा किया कि उन्हें, उनके पति और दो नाबालिग बेटियों को 20 कोरोनोवायरस संदिग्धों के साथ एक कमरे में ठूंसकर रखा गया था।
ग्रेटर नोएडा में अपने माता-पिता के घर पर रह रही महिला ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में दावा किया कि उसके पति और दो बच्चों को खुर्जा शहर के इस केन्द्र में उचित भोजन भी नहीं मिला।
एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "इस संगरोध केंद्र की स्थिति बहुत दयनीय है। इसमें 20 संदिग्धों को एक छोटे से कमरे में रखा गया है, लिहाजा किसी के संक्रमित होने पर उन सभी में इस बीमारी के फैलने की आशंका बहुत अधिक है। कमरे में चारों तरफ कचरा भी बिखरा हुआ है।"
शिकारपुर से बुलंदशहर तक एक डॉक्टर को छोड़ने के बाद महिला के पति को संगरोध में रखा गया था। कोरोना संक्रमण के कारण शुक्रवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उस डॉक्टर की मृत्यु हो गई।
महिला के पति ने कहा, "डॉक्टर मेरे पड़ोसी का दोस्त था। वह बेहोश हो गया था और उसे तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता थी। इसीलिए मैं उसे अपनी कार में लेकर बुलंदशहर के लिए रवाना हुआ। उसके बाद हमें इस खुर्जा आश्रय गृह में लाया गया।"
ट्वीट के एक दिन बाद ही प्रशासन कार्रवाई में जुट गया है, हालांकि इस ट्वीट को हटा दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए भेजा गया था कि वह जगह साफ और सैनिटाइज हो।
बुलंदशहर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ.के.एन. तिवारी ने कहा, "हमने शिकायत देखी और आश्रय गृह की स्वच्छता के लिए एक टीम भेजी गई है। आश्रय गृह जो कि एक बड़ा हॉल है, उसमें सभी बेड को दो मीटर दूरी पर यह सुनिश्चित करने के लिए रखा गया है कि संदिग्धों के बीच संक्रमण फैलने का कोई खतरा न रहे।"
--आईएएनएस
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