लोकआस्था और सूर्योपासना के महापर्व, छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत देशभर के कई हिस्सों में नदी या तालाब के किनारे व्रत किए लोगों ने डूबते सूर्य की अराधना की. सूर्य की पूजा में उन्हें जल से अर्घ्य देने का विधान है. पवित्र नदियों के जल से सूर्य को अर्घ्य देने और स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है.
इस व्रत में सूर्य देवता की पूजा की जाती है, जो प्रत्यक्ष दिखते हैं और सभी प्राणियों के जीवन के आधार हैं. सूर्य के साथ-साथ षष्ठी देवी या छठ मैया की भी पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, षष्ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें स्वस्थ और दीघार्यु बनाती हैं.
बिहार के दरभंगा में अर्घ के लिए जाते लोगदरभंगा में छठी मइया की आस्था में लेट कर जाता एक व्यक्तिबिहार के दरभंगा में बागमती नदी किनारे अर्घ की तैयारी करते लोगउत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम में खड़ी होकर अर्घ देती महिलाएंगुवाहटी में अर्घ से पहले महिलाओं ने लगाया सिंदूरअसम के दिब्रुगढ़ में अर्घ की तैयारी करती महिलाएंकेंद्र शासित प्रदेश जम्मू में सूर्य को अर्घ देती महिलाएंलखनऊ में डूबते सूरज को अर्घ देती महिलाएंपानी में खड़े होकर की जाती है सूर्य भगवान की पूजा, असम से तस्वीरदिल्ली में अर्घ से पहले पूजा की तैयारीवाराणसी में पूजा की तैयारी करती महिलाओंबिहार के बोधगया में विदेशी सैलानियों ने लिया झठ पूजा में हिस्साउत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दिया डूबते सूर्य को अर्घमध्य प्रदेश के जबलपुर में भी महिलाओं ने मनाया छठअसम के नागांव में महिलाओं ने की छठी मइया की पूजा31 अक्टूबर को 'नहाय-खाय' के साथ चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत हुई थी. 3 नवंबर की सुबह लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ संपन्न हो जाएगा.
छठ पर्व बिहार का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. बिहार के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में छठ धूम-धाम से मनाया जाता है.
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