लोकआस्था और सूर्योपासना के महापर्व, छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत देशभर के कई हिस्सों में नदी या तालाब के किनारे व्रत किए लोगों ने डूबते सूर्य की अराधना की. सूर्य की पूजा में उन्‍हें जल से अर्घ्‍य देने का विधान है. पवित्र नदियों के जल से सूर्य को अर्घ्‍य देने और स्‍नान करने का विशेष महत्‍व बताया गया है.

इस व्रत में सूर्य देवता की पूजा की जाती है, जो प्रत्‍यक्ष दिखते हैं और सभी प्राणियों के जीवन के आधार हैं. सूर्य के साथ-साथ षष्‍ठी देवी या छठ मैया की भी पूजा की जाती है. पौराणिक मान्‍यता के अनुसार, षष्‍ठी माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्‍हें स्‍वस्‍थ और दीघार्यु बनाती हैं.
बिहार के दरभंगा में अर्घ के लिए जाते लोग

31 अक्टूबर को 'नहाय-खाय' के साथ चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत हुई थी. 3 नवंबर की सुबह लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ संपन्न हो जाएगा.

छठ पर्व बिहार का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. बिहार के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में छठ धूम-धाम से मनाया जाता है.

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Published: 02 Nov 2019,08:35 PM IST

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