RBI के निर्देशों का पालन करते हुए निजी और सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने ग्राहकों को मौजूदा लोन और EMI पर तीन महीने का मोरेटोरियम का विकल्प दिया है. लॉकडाउन के चलते आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए RBI ने बैंकों से ये विकल्प देने को कहा था.
आपके पास भी अपने बैंक से इसके संबंधी एक मैसेज आया हो सकता है. लेकिन इससे पहले की आप इस विकल्प के बारे में सोचें, इसके बारे में जान लीजिए.
मोरेटोरियम लोन पेमेंट को टालना होता है. ये लोन का खत्म हो जाना नहीं होता है. बैंक 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक मोरेटोरियम का विकल्प दे रहे हैं. इससे आपकी क्रेडिट रेटिंग पर असर नहीं पड़ेगा.
तो मोरेटोरियम का विकल्प चुनने से क्या होगा?
इससे आपको तीन महीने की राहत मिल जाएगी. मतलब कि आपको तीन महीने तक इंस्टॉलमेंट नहीं देनी होगी. लेकिन मोरेटोरियम के दौरान बैंक आउटस्टैंडिंग प्रिंसिपल पर ब्याज लेंगे. इसका मतलब ये है कि पेमेंट पीरियड छह से 15 महीनों तक बढ़ सकता है. या फिर EMI अमाउंट बढ़ सकता है.
क्या मोरेटोरियम मददगार है?
अगर आप पैसे की किल्लत से जूझ रहे हैं तो ये आपके लिए राहत साबित होगा. लेकिन मौटे तौर पर आप ज्यादा ही भुगतान करेंगे. इसके कई कारण हैं, जैसे कि साल के शुरुआत का ब्याज EMI का सबसे बड़ा हिस्सा होता है. हालांकि जिन लोगों के लोन पुराने हैं, उन पर मोरेटोरियम का प्रभाव कम होगा.
आपको क्या करना चाहिए?
फैसला लेने से पहले अपने बैंक से बात कहिए. वो आप को लोन के भुगतान के बारे में ज्यादा अच्छे से बता पाएंगे.
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