पानी की शुद्धता और उपलब्धता के ऊपर बड़ी रिपोर्ट्स के बारे में हम सभी ने सुना है. देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाले लोग पानी के किल्लत को समझते भी हैं. क्योंकि, अगर दो दिन हरियाणा से दिल्ली में पानी नहीं आए तो पूरे शहर में हाय-तौबा मच जाती है.

अब जरा सोचिए, महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के इन लोगों के बारे में जो घड़े-भर पानी के लिए कई किलोमीटर की यात्रा करते हैं -

तस्वीरें देखिए और महसूस करिए इनके दर्द और पानी की महत्ता को -

महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक अप्रवासी चरवाहा परिवार अपने खच्चरों पर पानी के घड़े लादे हुए. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक हैंडपंप से पानी भरने की कोशिश करते गांववाले. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
बीते साल सूखा पड़ने की वजह से महाराष्ट्र के कई जिलोें में सूखी जमीन और ऐसे नंगे पेड़ों के दृश्य आम हैं. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
महाराष्ट्र के सोलापुर में पूरे साल पानी से भरा रहने वाला तालाब भी सूख गया. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
महाराष्ट्र के सोलापुर में एक सूखी हुई झील. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
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महाराष्ट्र के कई जिलों में ऐसे पेड़ और सूखी जमीन देखी जा सकती है. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
महाराष्ट्र में पानी के ड्रमों और प्लास्टिक वाले घड़ों के दामों में भारी इजाफा हुआ है. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
सोलापुर जिले में एनटीपीसी का निर्माणाधीन पॉवर प्लांट. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)
सोलापुर जिले के कभी न सूखने वाले तालाब से गुजरती हुई एक ग्रामीण महिला. (फोटो साभार: Subrata Biswas/Greenpeace)

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Published: 22 Mar 2016,08:28 PM IST

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