चीन के प्रत्यर्पण बिल के खिलाफ हॉन्गकॉन्ग में पिछले कई दिनों से चली आ रही लड़ाई आखिरकार सफल रही. हॉन्गकॉन्ग की चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लैम ने मंगलवार, 18 जून को बताया कि सरकार ने इस कानून को वापस ले लिया है. हॉन्गकॉन्ग में भारी विरोध प्रदर्शन के बाद ये फैसला लिया गया.
इस बिल में आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए उन्हें चीन प्रत्यर्पित किए जाने का प्रावधान है.
भले ही हॉन्गकॉन्ग चीन का हिस्सा है, लेकिन वहां के कानून अलग हैं. वहां चीन की तरह मौत की सजा भी नहीं है.
ऐसे में हॉन्गकॉन्ग के लोगों को डर है कि राजनीतिक और कारोबारी मामलों में चीनी प्रशासन प्रस्तावित प्रत्यर्पण कानून को उनके खिलाफ हथियार बना सकता है.
तस्वीरों में देखिए हॉन्गकॉन्ग का विरोध प्रदर्शन-
हॉन्गकॉन्ग पर ब्रिटेन का कब्जा था. साल 1997 में ब्रिटेन ने हॉन्गकॉन्ग को चीन को सौंप दिया था.चीन को सौंपने के बावजूद हॉन्गकॉन्ग की ऑटोनॉमी बरकरार रही.हॉन्गकॉन्ग के अपने अलग कानून और करंसी है. वहां चुनाव भी अलग होते हैं.इस प्रत्यर्पण बिल का हॉन्गकॉन्ग के लोगों ने किया विरोध.बिल पास होने से चीन को सौंप दिए जाएंगे आरोपी, हॉन्गकॉन्ग के लोगों को इसी बात का डर.इस बिल के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर उतर आए. बताया जा रहा है कि करीब 20 लाख लोगों ने सड़कों पर ऊतर कर बिल का विरोध किया.सोमवार, 17 जून को पुलिस के कार्रवाई करने के बाद प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस बिल का विरोध हुआ. यूरोपियन यूनियन से लेकर ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे ने इसकी आलोचना की.मंगलवार, 18 जून को विरोध कर रहे इन प्रदर्शनकारियों की जीत हुई, जब बिल को वापस ले लिया गया.हॉन्गकॉन्ग की चीफ एग्जिक्यूटिव कैरी लैम ने 18 जून को प्रदर्शनकारियों से बिल के लिए माफी मांगी.(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)