सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र के बांध में जलस्तर सिर्फ 3 फीसदी गिरा है, ये सोमवार को सरकारी अधिकारियों ने कहा, इलाके के 11 में से 8 बांधों में स्टोरेज लेवल काफी नीचे है, जिसका सीधा मतलब है कि इन बांधों से पानी छोड़ा नहीं जा सकता बल्कि किसी औऱ साधन से सिर्फ निकाला जा सकता है.

मराठवाड़ा में सूखे का ये चौथा साल है, तकरीबन 8,522 गांव दो साल से सूखे की मार झेल रहे हैं पिछले साल इस इलाके में 939 टैंकर पानी पहुंचा रहे थे लेकिन इस साल 2,745 टैंकर राहत पहुंचाने में जुटे हैं.

ये तस्वीरें अमेया मराठे ( Ameya Marathe )  ने ली हैं और इन्हें पिरोया है निखिल इनामदार ( Nikhil Inamdar) ने.

हम शब्दों में इन तस्वीरों को बयान नहीं कर सकते, हालत इतनी बदतर है कि गृहयुद्ध जैसे हालात से तुलना भी कम है.

लातूर से कुछ दूर स्टेट हाईवे पर एक पेड़ की परछाईं (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Inamdar)
सूखे की वजह से बर्बाद हुई फसल को देखते एक किसान. मराठवाड़ा के मुरुडअकोला गांव की तस्वीर. (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Inamdar)
एक दिन में 9 लाचार किसान आत्महत्या कर रहे हैं. सच में महाराष्ट्र के किसानों की हालत बदतर है. (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Inamdar)
माली परिवार एक सदस्य तस्वीर दिखाता हुआ. 
पानी को यूं लीक करते हजारों टैंकर आपको मराठवाड़ा में दिख जाएंगे. टैकर कारोबार पूरी तेजी से बढ़ रहा है. चंद महीनों में पानी की कीमत 3 गुना बढ़ गई है, 6 हजार लीटर पानी पहले 400 रुपए में मिलता था अब 1200 रुपए में मिलता है. (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Inamdar)
साईगांव का ये डैम कीचड़ का अंबार लग रहा है. (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Ina
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
पीने के पानी के लिए नगरपालिका का टैंकर ही सहारा. 8 घंटे के इंतजार के बाद मिलता है पानी. (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Inamdar)
पानी को लेकर विवेकानंद चौराहे पर झगड़ हुआ है, अधिकारी और स्थानीय लोग लड़ रहे हैं,इस झगड़े में हिंसा भी हुई और कुछ लोगों की मौत भी, उन्हें बेबसी से देखता एक बच्चा. (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Inamdar)
“आपने कैसे मेरी कॉलोनी का पानी रोक दिया?” - एक बुजुर्ग और अधिकारियों के बीच होता झगड़ा. (फोटो: Ameya Marathe, curated by Nikhil Inamdar) 
ये खाली बर्तन सूखे की तस्वीर बयां कर रहे हैं. 
रोजाना होने वाली कमाई को छोड़ ये मजदूर अपनी जरुरत के लिए पानी भरते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT