Home Photos Jaipur Literature Festival: कैसे पर्दे के पीछे टीम साहित्य-किताबों के प्रेम को परोसती है
Jaipur Literature Festival: कैसे पर्दे के पीछे टीम साहित्य-किताबों के प्रेम को परोसती है
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का 17वां संस्करण 1 से 5 फरवरी तक राजस्थान के गुलाबी शहर के होटल क्लार्क्स आमेर में हो रहा है.
गरिमा साधवानी
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Jaipur Literature Festival Team
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival 2024) का 17वां संस्करण राजस्थान के गुलाबी शहर, जयपुर के होटल क्लार्क्स, आमेर में चल रहा है. यह महोत्सव 1 से 5 फरवरी तक चलेगा. साहित्य और किताबों के प्रति प्रेम हर साल जयपुर साहित्य महोत्सव में समाज के सभी क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाता है. द क्विंट ने इसकी प्रोग्रामिंग टीम से उनकी कहानियों को जानने और महीनों तक पर्दे के पीछे काम करने के उसके किस्सों को सामने लाने के लिए बात की.
दिल्ली की रहने वाली कृतिका (36 साल) के लिए जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल दूसरे घर जैसा है. उन्होंने 12-13 साल पहले एक वॉलंटियर के रूप में शुरुआत की थी और तब से कई पदों को संभाला है. अब, वह लिटरेचर फेस्टिवल की प्रोग्रामिंग टीम की प्रमुख हैं. उन्होंने कई वर्षों तक प्रोग्रामिंग टीम में काम किया है.
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
वह द क्विंट को बताती हैं, "हमारे पास अलग-अलग सेशन और लेखकों की एक बड़ी लिस्ट है, जो उपन्यास, इतिहास, भू-राजनीति, जलवायु, एआई और दुनिया के हर दूसरे विषय पर बात करते हैं."
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
पूर्व पत्रकार नेहा दासगुप्ता (32 साल) अब कृतिका के साथ प्रोग्रामिंग टीम की प्रमुख हैं. उनके लिए, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल एक पहेली की तरह है जहां आप महीनों और महीनों की कड़ी मेहनत के बाद धीरे-धीरे टुकड़ों को एक साथ जुड़ते हुए देखते हैं. वह मुस्कुराते हुए कहती हैं, "वहां केओस है, लेकिन केओस में पूरा सेंस भी है,"
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
यह कृतिका का साहित्य के प्रति प्रेम ही था जो उन्हें इस महोत्सव में ले आया. वह कहती हैं, "हर साल महोत्सव में बहुत कुछ सीखने को मिलता है. हम नमिता (गोखले) और विलियम (डेलरिम्पल) से सीखते हैं, और हर उस लेखक से भी सीखते हैं जिसके साथ हम बातचीत करते हैं."
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
दासगुप्ता को रिसर्च यहां लाया. वो देखती हैं कि कौन से लेखक एक साथ काम कर सकते हैं, कौन सा मॉडरेटर सही होगा, और कई अन्य चीजों के बीच कौन सी किताबें लगाई जानी चाहिए.
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
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"लेकिन हर साल सबसे अच्छा हिस्सा सेशंस की विविधता है. इस साल, हमारे पास पोएट्री, फिक्शन , जलवायु परिवर्तन, कानून, न्याय, राजनीति और बहुत कुछ है. मेरा पसंदीदा पालतू जानवरों पर बीते वक्त की यादों से जुड़ा सेशन है, जो हम इस साल कर रहे हैं ,'' दासगुप्ता ने द क्विंट को बताया.
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
हालांकि, लॉजिस्टिक्स थका देने वाला होता है. कृतिका कहती हैं, ''हर साल पांच दिनों के लिए सैकड़ों लेखकों को एक छत के नीचे लाना, उनके शेड्यूल को मैनेज करना आसान नहीं है.'' लेकिन वह आगे कहती हैं, "यह साहित्य के प्रति हमारा प्यार है जो हमें आगे बढ़ाता है. कौन यहां काम नहीं करना चाहेगा?"
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
दासगुप्ता का भी यही मानना है. हमेशा आखिरी मिनट में बदलाव होते रहते हैं, इसलिए फेस्टिवल शुरू होने पर भी उनका काम कभी खत्म नहीं होता. वह कहती हैं, "फ्लाइट में देरी, अचानक उनका कैंसिल होना और बहुत कुछ संभालना कठिन है, लेकिन हमारे पास हमेशा एक टीम होती है."
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
प्रोग्रामिंग टीम में दो जूनियर मेंबर भी हैं - वैशाली और कीर्तन एस. वे सभी रजिस्ट्रेशन और लेखकों को संभालती हैं.
(फोटो: गरिमा साधवानी/द क्विंट)
क्या इस सबका कोई नकारात्मक पहलू है? टीम का कहना है कि हां. आपको खुद किसी सेशन में भाग लेने का मौका नहीं मिलता क्योंकि आप काम कर रहे हैं. लेकिन फिर भी यह जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में काम करने के आनंद को कम नहीं करता है.