Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Photos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इंटरनेशनल कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज, देवी-देवताओं का भगवान रघुनाथ से देवमिलन | Photos

इंटरनेशनल कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज, देवी-देवताओं का भगवान रघुनाथ से देवमिलन | Photos

Kullu International Festival: कुल्‍लू दशहरा देश के बाकी त्‍योहार से क्यों है एकदम अलग है? तस्वीरों में जानिए

क्विंट हिंदी
तस्वीरें
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<div class="paragraphs"><p>हिमाचल प्रदेश: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज</p></div>
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हिमाचल प्रदेश: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज

(फोटो- altered by quint hindi)

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हिमाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव (Kullu Dussehra Festival) का मंगलवार, 24 अक्टूबर को आगाज हो गया है. यहां दशहरे पर देवलोक से देवी-देवताओं को आने के लिए निमंत्रण दिया जाता है. कुल्‍लू दशहरा देश के बाकी त्‍योहार से एकदम अलग है. इसे अंतरराष्‍ट्रीय उत्‍सव का दर्जा दिया गया है. जब बाकी देश के हिस्‍सों में दशहरा का त्‍योहार खत्‍म हो जाता है, तब जाकर यह कुल्‍लू में एक सप्‍ताह के लिए शुरू होता है.

मंगलवार की सुबह से ही ढालपुर में देवताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा. बड़ी संख्या में देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे. तस्वीरों के जरिये देखिए कुल्लू दशहरा को लेकर लोग कितने उत्साहित हैं और किस तरह से इस उत्सव में शामिल होने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

देव महाकुंभ कुल्लू दशहरा के लिए आए हुए देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी भरी. सैकड़ों देवी-देवता लाव-लश्कर के साथ भगवान रघुनाथ की नगरी रघुनाथपुर में पहुंचे.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

यहां पर देवी-देवताओं का भगवान रघुनाथ से भव्य देवमिलन हुआ. ढोल, नगाड़ों की थाप से पूरी घाटी गूंज उठी. यहां पर भव्य देवमिलन को देखने के लिए काफी अधिक संख्या में श्रद्धालु उमड़े.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

सोमवार को ढालपुर स्थित अस्थायी शिविरों में पहुंचे देवी-देवताओं की मंगलवार सुबह पूजा-अर्चना हुई. इसके बाद देवताओं के रघुनाथपुर में भगवान रघुनाथ मंदिर पहुंचने का सिलसिला आरंभ हुआ. सुबह आठ बजे से देवताओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ, जो दोपहर बाद तक चलता रहा.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के बाद देवता अस्थायी शिविरों में लौटे. बंजार के देवता श्रृंगा ऋषि, देवता बालू नाग, शियाह के देवता जमदग्नि ऋषि, गर्ग ऋषि सहित सैकड़ों देवताओं ने राजमहल में जाकर भी देव परंपरा निभाई.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

सबसे पहले देवता भगवान रघुनाथ मंदिर में पहुंचे. इसके बाद देवता राजमहल में भी गए. इस दौरान कई देवताओं ने गूर के माध्यम से अपनी बात भी कही. अब यह देवी-देवता अस्थायी शिविरों में ही विराजमान हो जाएंगे. मोहल्ला के दिन एक बार फिर सभी देवी-देवता अपने अस्थायी शिविरों से बाहर निकलेंगे. वहीं करीब डेढ़ किलोमीटर के इस फासले में लोगों ने जगह-जगह देवताओं का स्वागत किया.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

ढालपुर में 1300 जवान तैनात रहेंगे, ड्रोन-सीसीटीवी से भी नजर रखी जाएगी. भगवान रघुनाथ के सम्मान में वर्ष 1660 से मेला मनाया जा रहा है. मेले के लिए आउटर सराज के 14 देवी-देवता 200 किमी दूर से कुल्लू पहुंचे हैं. इनमें देवता खुडीजल, ब्यास ऋषि, कोट पझारी, टकरासी नाग, चोतरू नाग, बिशलू नाग, देवता चंभू उर्टू, देवता चंभू रंदल, सप्तऋषि, देवता शरशाई नाग, देवता चंभू कशोली, कुई कांडा नाग, माता भुवनेश्वरी शामिल हैं.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने बताया कि दशहरा में पहली बार मलयेशिया, रूस, साउथ अफ्रीका, कजाकिस्तान, रोमानिया, वियतनाम, केन्या, श्रीलंका, ताइवान, किरगीस्तान, इराक और अमेरिका के सांस्कृतिक दल प्रस्तुति देंगे.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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पहली सांस्कृतिक संध्या में पार्श्व गायक साज भट्ट, दूसरी में पंजाबी गायिका सिमर कौर, तीसरी में यूफोनी बैंड, लमन बैंड, चौथी में पंजाबी गायक शिवजोत, पांचवीं में जसराज जोशी, छठी में पार्श्व गायिका मोनाली ठाकुर, हारमनी ऑफ द पाइन्स के कलाकार आकर्षण रहेंगे.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

मनाली के सिमसा गांव के भगवान कार्तिक स्वामी अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में लगभग 32 साल बाद पहुंचे हैं, मंगलवार सुबह राज महल में जाकर देवता ने प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया. इसके बाद देवता ढालपुर में अपने अस्थायी शिविर में विराजमान हुए.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

कुल्लू दशहरे में हर वर्ष 300 से ज्यादा देवी-देवता पहुंचते हैं. इसमें कुल्लू, मनाली, आनी, बंजार के देवी-देवता भाग लेते हैं.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

कुल्लू दशहरा का इतिहास सदियों पुराना है. देश से बाकी त्योहारों से एकदम अलग कुल्‍लू दशहरे को अंतरराष्‍ट्रीय उत्‍सव का दर्जा दिया गया है. बाकी त्‍योहारों से अलग कुल्‍लू दशहरा उत्सव एक हफ्ते तक चलता है.

(फोटो- arranged by quint hindi)

रघुनाथ जी के सम्मान में ही राजा जगत सिंह ने वर्ष 1660 में कुल्लू में दशहरे की परंपरा आरंभ की. आज भी यह परंपरा जीवित है.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

साल 1966 में कुल्लू दशहरा राज्य स्तरीय दर्जा मिला था. वहीं साल 1970 में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने की घोषणा की गई.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

हालांकि तब इसे मान्यता नहीं मिल पाई. साल 2017 में इस पर्व को अंतरराष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दिया गया. वहीं साल 2022 में पीएम मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो कुल्लू अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में शामिल हुए थे.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

कुल्लू दशहरा की अंतिम संध्या में लोक कलाकार रमेश ठाकुर, कुशल वर्मा, लाल सिंह, खुशबू भारद्वाज, ट्विंकल दर्शकों का मनोरंजन करेंगे.

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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