Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Photos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मुंबई की आइकॉनिक डबल-डेकर बसें 86 साल बाद 'रिटायर', कुछ ऐसा था यह सफर| Photos

मुंबई की आइकॉनिक डबल-डेकर बसें 86 साल बाद 'रिटायर', कुछ ऐसा था यह सफर| Photos

Mumbai's Double-Decker Buses: सितंबर 1920 में शुरू की गई डबल-डेक ट्राम ने 15 सितंबर को मुंबई को अंतिम विदाई दी.

अदिति सूर्यवंशी
तस्वीरें
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<div class="paragraphs"><p>Mumbai's Iconic Double-Decker Buses Last Ride</p></div>
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Mumbai's Iconic Double-Decker Buses Last Ride

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

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Mumbai's Iconic Double-Decker Buses: मुंबई में कई मार्गों पर 86 साल तक राज करने के बाद प्रतिष्ठित नॉन-एसी डबल-डेकर BEST बसें आधिकारिक तौर पर शुक्रवार, 15 सितंबर की रात सेवा से 'रिटायर' हो गयीं. बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन (BEST) ने हाल ही में आधिकारिक घोषणा की कि प्रतिष्ठित बसें स्थायी रूप से सड़कों से हट जाएंगी. इनकी जगह 900 आधुनिक, वातानुकूलित (AC) डबल-डेकर बसों का बेड़ा जुलाई 2024 के अंत तक मुंबई में पेश किया जाएगा. तस्वीरों में देखिए नॉन-एसी डबल-डेकर BEST बसों का सफर.

(लेखक एसएन पेंडसे की पुस्तक 'द बेस्ट स्टोरी', bestundertakeing.com और आर्किटेक्चरल डाइजेस्ट से इनपुट के साथ)

रश आवर के ट्रैफिक से निपटने के लिए, बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रामवेज कंपनी (BEST) ने पहली बार सितंबर 1920 में डबल-डेकर ट्राम पेश किया था.

(फोटो: बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन)

ये ट्राम लंदन की मोटर से चलने वालीं डबल-डेकर बसों से प्रेरित थीं. ट्राम जल्द ही 1960 के दशक में मुंबई शहर की सबसे पहचानी जाने वाली विशेषता बन गईं.

(फोटो: बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन)

शुरुआती दिनों में बस का किराया दो आने से लेकर छह आने तक हुआ करता था. 1928 तक बच्चों के लिए कोई आधा किराया नहीं था. कुछ समय के लिए, वापसी टिकट भी जारी किए जाते थे.

(फोटो: बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन)

अब, लगभग नौ दशकों के बाद, मुंबई की आखिरी नॉन-एसी डबल-डेकर बस (नंबर 415) मुंबई की सड़कों पर अपनी आखिरी सफर के लिए शुक्रवार, 15 सितंबर को मरोल डिपो से रवाना हुई.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

जहां कुछ यात्री अपनी पुरानी यादों को ताजा करने के लिए इस बस में चढ़े, वहीं अन्य ने "शहर में सर्वश्रेष्ठ डबल-डेकर" में अपनी पहली और आखिरी सवारी का अनुभव किया.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

डबल डेकर बस ने शहर में अंधेरी (ई) रेलवे स्टेशन के अगरकर चौक से जोगेश्वरी (ई) माजस डिपो तक अपना आखिरी चक्कर लगाया.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

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1990 के दशक की शुरुआत में BEST के पास लगभग 900 डबल-डेकर बसों का बेड़ा था, लेकिन बदलते समय और अधिक खर्चों के कारण 90 के दशक के मध्य के बाद इसे धीरे-धीरे हटाया गया.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

बस कंडक्टर गोपाल सुक्ते ने यात्रियों से कहा, "हमें बुरा लगता है लेकिन जमाने के साथ आगे बढ़ना है तो पुरानी चीज की एक्सपायरी डेट तो आएगी ही और उनको बंद करके हमें आगे बढ़ना पड़ेगा."

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

बस को गुब्बारों, रंगीन रिबन और अपनी नौ दशकों की सेवा के दौरान अपने प्रत्येक यात्री के साथ साझा की गई असंख्य यादों से सजाया गया था.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

लाल डबल-डेकर बसें शहर का प्रतीक बन गई हैं, जिन्हें विभिन्न बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाया गया है.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

एक स्थानीय नौजवान, श्रेयस कांबले ने कहा, "मैंने पहले कभी डबल डेकर बस में यात्रा नहीं की थी, इसलिए जब मैंने सुना कि इसे चरणबद्ध तरीके से बंद किया जा रहा है, तो मैंने अपना कैमरा उठाया और कुछ यादें कैद करने के लिए आ गया."

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

दूसरे बस कंडक्टर संतोष सावंत ने बस के आखिरी दिन को चिह्नित करने के लिए यात्रियों को पुराने स्टाइल का का विंटेज टिकट दिया.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

जैसे ही बस शहर के लिए विदा हुई, छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, कई यात्री खिड़कियों से मुंबई के बेस्ट व्यू का आनंद लेने के लिए अपर डेक पर जमा हो गए.

(फोटो सौजन्य: अदिति सूर्यवंशी/द क्विंट)

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