Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Photos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Navaratri 2023: माता दुर्गा के नौ रूपों का यहां करें दर्शन, जानें हर रूप के नाम का रहस्य। Photos

Navaratri 2023: माता दुर्गा के नौ रूपों का यहां करें दर्शन, जानें हर रूप के नाम का रहस्य। Photos

Navaratri: नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गे के पहले रूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.

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माता दुर्गा के नौ रूपों का यहां करें दर्शन, जानें हर रूप के नाम का रहस्य। Photos

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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15 अक्टूबर को नवरात्रि का पहला दिन (Navratri 2023) है. माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. मां दुर्गा के नौ रूप हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा के इन नौ रूपों के पूजन से मनुष्य को विशेष लाभ होता है. आइए जानते हैं माता के इन नौ रूपों का महत्व.

मां दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री हैं. देवी पार्वती को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

मां दुर्गा का दूसरे रूप का नाम ब्रह्मचारिणी है. ब्रह्म का अर्थ तपस्या होता है, कठोर तपस्या का आचरण करने वाली देवी को ब्रह्मचारिणी कहा गया है. कहा जाता है कि भगवान शिव को पाने के लिए मां पार्वती ने कठोर तप किया था. इसलिए माता को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया.

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चंद्रघंटा देवी के मस्तक पर अर्ध चंद्र के आकार का तिलक विराजमान है. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा देवी मां पार्वती का विवाहित अवतार हैं. उन्हें विवाह के बाद अर्द्ध चांद धारण किया, इसलिए इनका ये नाम पड़ा.

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कूष्मांडा: मां दुर्गा का चौथा रूप कूष्मांडा हैं. देवी में ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त है. मान्यता है कि देवी पार्वती ने सिद्धिदात्री रूप धारण करने के बाद सूर्य के केंद्र के अंदर रहना शुरू कर दिया था ताकि सूर्य पूरे ब्रह्मांड को ऊर्जा दे सके. इस रूप में देवी के आठ हाथ हैं. इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी बुलाया जाता है.

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माता के पंचम स्वरूप स्कंदमाता हैं. माता पार्वती कार्तिकेय की मां हैं. भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद भी है. इसलिए मां दुर्गा की पंचम रूप स्कंदमाता कहलाती हैं.

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मां दुर्गा का छठा रूप मां कत्यायनी हैं. ये देवी का उग्र रूप है. राक्षस महिषासुर का वध करने के बाद मां के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है.

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मां दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि हैं. काल यानी संकट, जिसमें हर तरह का संकट खत्म कर देने की शक्ति हो, वो माता कालरात्रि हैं. माता कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं.

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मां दुर्गा का आठवां रूप महागौरी हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता ने इतना कठोर तप किया कि मां काली पड़ गई थीं. महादेव उनकी तप से प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद भोलेनाथ ने उनके शरीर को गंगाजल से धोया, जिसके बाद माता का शरीर कांतिमय हो गया और माता के स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना गया.

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मां दुर्गा का नौवां रूप-सिद्धिदात्री है. अपने भक्तों को सर्व सिद्धियां पूरी करने वाली देवी होने के कारण इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है. माना जाता है कि इनकी पूजा करने से बाकी देवियों की भी उपासना हो जाती है. इनकी पूजा से श्रद्धालुओं के हर काम पूरे हो जात ेहैं.

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