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NCERT के पाठ्यक्रम में शामिल हो सकता है 'रामायण-महाभारत', पैनल ने दिया सुझाव

प्रोफेसर सीआई इस्साक की अध्यक्षता वाली समिति ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेदों को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने का भी सुझाव दिया है.

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NCERT के पाठ्यक्रम में शामिल हो सकता है 'रामायण-महाभारत', पैनल ने दिया सुझाव

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अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. इसी बीच NCERT की उच्च स्तरीय समिति ने स्कूलों के पाठ्यक्रम में भारत के 'शास्त्रीय काल' के इतिहास को "रामायण और महाभारत" को विषय के रुप में शामिल करने कि सिफारिश की है.

यह प्रस्ताव इतिहास के किताबों में विभिन्न राजवंशों को स्थान देने की भी सिफारिश करता है. जिन्होंने भारत के इतिहास को आकार दिया और अत्यधिक समावेशी ऐतिहासिक कथा सुनिश्चित की.

फोटो ः द क्विंट

प्रोफेसर सीआई इस्साक की अध्यक्षता वाली समिति ने भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेदों को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने का भी सुझाव दिया है.

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बता दें कि इससे पहले इस  समिति ने देश का नाम “­भारत” करने की सिफारिश भी कर चुकी है.

पीछले साल सात सदस्यों वाली इस समिति का गठन किया गया था.

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प्रोफेसर सीआई इस्साक ने एएनआई से बात करते हुए कहा - इतिहास को चार काल में वर्गीकृत करने की सिफारिश की है. शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत. अब तक इतिहास को 3 काल प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में ही बांटा गया है.

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समिति ने छात्रों को    रामायण के माध्यम से राम के संम्पूर्ण जीवन को बताने की बात कही है.

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समिति ने छात्रों में राष्ट्र गौरव और आत्मविश्वास की भावना पैदा करने के लिए सिलेबस में सुभाष चंद्र बोस जैसे राष्ट्रीय नायकों को अधिक जगह देने की सिफारिश की है.

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समिति ने कहा कि "7 वीं से 12वीं तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है."  उन्होंने कहा कि छात्रों को अपनी जड़ों को समझना, अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कुछ बोर्ड पहले से ही रामायण और महाभारत पढ़ाते हैं.

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पैनल ने सभी कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना को स्थानीय भाषा में लिखने की भी सिफारिश की है.

समिति ने छात्रों में राष्ट्र गौरव और आत्मविश्वास की भावना पैदा करने के लिए सिलेबस में सुभाष चंद्र बोस जैसे राष्ट्रीय नायको को अधिक जगह देने की सिफारिश की है.

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हालांकि यह सभी सिफारिशें एनसीईआरटी की अंतिम मंजूरी के लिए लंबित हैं. इन सिफारिशों का उद्देश्य देश के स्कूलों में इतिहास के पाठ्यक्रम को और विस्तृत करना और सांस्कृतिक रूप देना है.  अधिकारियों के अनुसार प्रस्तावित बदलाव को एनसीईआरटी की अंतिम मंजूरी का इंतजार है.

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