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पितृपक्ष: गया से बनारस तक पूर्वजों का पिंडदान, उपराष्ट्रपति ने भी तर्पण किया| Photos

Pitru Paksha 2023: सनातन धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया में पिंडदान को एक अहम कर्मकांड माना जाता है.

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<div class="paragraphs"><p>पितृपक्ष: गया से लेकर बनारस तक बुजुर्गों का पिंडदान, उपराष्ट्रपति ने भी की पूजा- Photos</p></div>
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पितृपक्ष: गया से लेकर बनारस तक बुजुर्गों का पिंडदान, उपराष्ट्रपति ने भी की पूजा- Photos

(altered  by quint)

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पितृ पक्ष (Pitru Paksha) हिंदू कैलेंडर में 16 चंद्र दिन की अवधि है जब हिंदू अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं, खासकर भोजन प्रसाद के माध्यम से. इस अवधि को पितृ पक्ष/पितृ-पक्ष, पितृ पोक्खो, सोरह श्राद्ध, कनागत, जितिया, महालया, अपरा पक्ष और अखाडपाक, पितृ पंढारावदा या पितृ पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. तस्वीरों में देखिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ समेत देश में लोगों ने किस तरह से पितरों की पूजा की.

भोपाल: पितृपक्ष मेले की शुरुआत 28 सितंबर से हो गई है.

(फोटो- पीटीआई)

जबलपुर: सनातन धर्म में पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए गया में पिंडदान को एक अहम कर्मकांड माना जाता है.

(फोटो- पीटीआई)

गया: बिहार का गया इसके लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है.

(फोटो- पीटीआई)-

गया: भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष के 15 दिन को 'पितृपक्ष' कहा जाता है. इस पखवारे में लोग अपने पूर्वजों की मृतात्माओं की मुक्ति के लिए पिंडदान करते हैं.

(फोटो- पीटीआई)

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गया: पितृ पक्ष को हिंदुओं द्वारा अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान किए जाने वाले मृत्यु संस्कार को श्राद्ध या तर्पण के नाम से जाना जाता है.

(फोटो- पीटीआई)

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बिहार के एक दिन के दौरे के पहले चरण में शुक्रवार को गया पहुंचे. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने हवाईअड्डे पर उपराष्ट्रपति की अगवानी की.

(फोटो - आईएएनएस)

उपराष्ट्रपति गया हवाईअड्डा से सीधे विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया.

(फोटो - आईएएनएस)

उपराष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी सुदेश धनखड़ भी हैं. उपराष्ट्रपति यहां से राजगीर जाएंगे, जहां वे नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करेंगे.

(फोटो - आईएएनएस)

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