जनवरी के पहले हफ्ते से, पंजाब-चंडीगढ़ सीमा पर वाईपीएस चौक के पास 25 साल से जेल में बंद सिख कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर कई सिख ग्रुप धरना दे रहे हैं.

<div class="paragraphs"><p>(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)</p></div>

जनवरी के पहले हफ्ते से, पंजाब-चंडीगढ़ सीमा पर वाईपीएस चौक के पास 25 साल से जेल में बंद सिख कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर कई सिख ग्रुप धरना दे रहे हैं.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

सबसे प्रमुख कैदियों में से एक, जिनकी रिहाई की मांग की जा रही है, जगतार सिंह हवारा हैं, जो 1995 से जेल में हैं. उन्हें पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में दोषी ठहराया गया है. 2015 के सरबत खालसा ने उन्हें अकाल तख्त का जत्थेदार नियुक्त किया था. हालांकि, एसजीपीसी ने सरबत खालसा की वैधानिकता का विरोध किया है.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

26 जनवरी को प्रदर्शनकारियों ने निशान साहिब लेकर मार्च निकाला.

(फोटो: अंगद सिंह खालसा/क्विंट हिंदी)

कई महिलाएं भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई हैं. उनमें से कई ने 2020-21 के कृषि कानूनों के विरोध प्रदर्शन में भी भाग लिया था. महिला प्रदर्शनकारियों में से एक, सुरिंदर कौर का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि जब तक जरूरत होगी, वो विरोध प्रदर्शन को जारी रखेंगी.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

पाल सिंह फ्रांस, एक फ्रांसीसी नागरिक हैं जो फ्रांस और भारत में सिख एक्टिविज्म में शामिल रहे हैं. उन्हें भारत में आतंकवाद के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2010 में बरी कर दिया गया था. फ्रांस में, वो सार्वजनिक रूप से पगड़ी पहनने वाले सिखों पर प्रतिबंध हटाने के अभियान की अगुवाई कर रहे हैं. पाल सिंह फ्रांस को उम्मीद है कि पूरा सिख समुदाय राजनीतिक कैदियों के पक्ष में खड़ा होगा और उनकी रिहाई के लिए आंदोलन करेगा.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

प्रदर्शनकारियों और धरना स्थल पर आने वाले लोगों के भोजन के लिए लंगर की व्यवस्था की गई है. खाना पकाने, सब्जियां काटने और बर्तन साफ करने जैसी जिम्मेदारियों के लिए लोग खुद से आगे बढ़ते हैं.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

यहां तक कि छोटे बच्चे भी प्रदर्शनकारियों की सेवा करने के लिए लंगर में मदद करते हैं.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

शुरुआत में लोहड़ी और माघ मेले के कारण विरोध स्थल पर बहुत भीड़ नहीं थी, लेकिन इन त्योहारों के खत्म होने के बाद विरोध में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

प्रदर्शनकारी जिन 'राजनीतिक कैदियों' की रिहाई की मांग कर रहे हैं, उनमें बलवंत सिंह राजोआना, जगतार सिंह तारा, परमजीत सिंह भेओरा, दविंदर पाल सिंह भुल्लर, लखविंदर सिंह और शमशेर सिंह शामिल हैं, ये सभी 1995 से जेल में हैं. गुरदीप सिंह खैरा 1990 से जेल में हैं.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

विरोध को कई सिख संगठनों, जैसे दल खालसा, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अलावा कई गुरुद्वारा समितियों और निहंग जत्थों का समर्थन मिला है. दीवंगत एक्टर दीप सिद्धू के वारिस पंजाब दे - पलविंदर सिंह तलवारा और अमृतपाल सिंह के नेतृत्व वाले दोनों गुट भी अपने मतभेदों के बावजूद विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं.

(फोटो: आदित्य मेनन/क्विंट हिंदी)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT