भारत में पिछले दस वर्षों में रोकी जा सकने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 1,381,314 लोग मारे गए हैं और पिछले दस वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में 5,030,707 लोग गंभीर रूप से घायल या विकलांग हुए हैं. हमारी देश की सड़कों पर हर घंटे 17 लोगों की मौत होती है और सड़क हादसों की वजह से दिन भर में 29 बच्चे अपनी जान गवा देते हैं. जहां कुछ दिनों पहले हुए सड़क हादसे में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत हो गई. वहीं भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत सड़क हादसे में घायल होने की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती हैं. उनकी कार की हालत देख कर कई लोग सोच में डूब गये होंगे कि जब कार इतनी बुरी तरह से तबाह हो गई तो, उसमें बैठे इंसान पर इसका क्या असर पड़ा होगा? आखिर इस तरह के रोड एक्सीडेंट के समय होता क्या है? हादसे के समय शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? आइए तस्वीरों के जरिए जानते हैं रोड एक्सीडेंट में शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में.

(डेटा सोर्स- SaveLife Foundation)

एक्सीडेंट की वजह से अगर दिमाग पर चोट लगी है, तो व्यक्ति एक्सीडेंट साइट पर ही बेहोश हो सकता है.

(फोटो:iStock)

रोड एक्सीडेंट में अगर दिल की सबसे बड़ी आर्टरी ओटा में चोट आयी हो, तो सर्वाइवल के चांस कम होते जाते हैं. 

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रोड एक्सीडेंट में जब छाती, फेफड़ों और रिब्स में चोट आई हो तो, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. हाथों की उंगलियां और जबान नीली हो जायेंगी. घायल व्यक्ति बेहोश हो सकता है.

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सिर में चोट लगी है, जो कि गंभीर नहीं हो तो सिर दर्द, उल्टी की शिकायत हो सकती है.

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एक्सीडेंट में जब छाती पर बहुत गंभीर चोट नहीं लगी हो तो घायल व्यक्ति को सांस लेने में मुश्किल हो सकती है.

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एक्सीडेंट की वजह से पेट में चोट आयी है, तो ब्लीडिंग इंटरनल भी हो सकती है और ब्लड प्रेशर डाउन हो सकता है. ऐसी स्थिति में पसीना आने लगेगा और हार्ट रेट बढ़ जाएगी.

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एक्सीडेंट की वजह से अगर ज्यादा चोट लगी है, इंटरनल इंजरी हुई है या बाहर खून बह रहा है, तो ब्लीडिंग की वजह से शरीर में खून की कमी हो जाएगी. ऐसे में हार्ट रेट बढ़ जाएगा, ब्लड प्रेशर कम होगा और फिर धीरे-धीरे घायल व्यक्ति बेहोश हो जाएगा.

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एक्सीडेंट की वजह से ब्लड प्रेशर गिर भी सकता है और बढ़ भी सकता है. साथ ही दिल की धड़कन तेज हो जाती है.

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