Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Photos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Solar Storm: सूरज से 2 दशक बाद आया इतना बड़ा तूफान, दुनिया के कई शहर जगमग, क्या है विज्ञान?

Solar Storm: सूरज से 2 दशक बाद आया इतना बड़ा तूफान, दुनिया के कई शहर जगमग, क्या है विज्ञान?

Solar Storm Aurora: सौर तूफान के पृथ्वी पर टकराने के बाद भारत के लद्दाख में भी आसमान में लाल रंग का औरोरा देखा गया.

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<div class="paragraphs"><p>सूरज से 2 दशक बाद आया इतना बड़ा तूफान, जगमगा उठे दुनिया के कई शहर, क्या है पीछे का विज्ञान?</p></div>
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सूरज से 2 दशक बाद आया इतना बड़ा तूफान, जगमगा उठे दुनिया के कई शहर, क्या है पीछे का विज्ञान?

फोटो- PTI

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दो दशकों से ज्यादा वक्त के बाद सबसे शक्तिशाली सौर तूफान (Solar Flares) के पृथ्वी तक आने के बाद शुक्रवार, 10 मई 2024 को इसका असर दुनिया भर में दिखा.

गुजरात के इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. रवि एवी कुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई को 10 मई को पृथ्वी से टकराने वाले सौर तूफान पर कहा, "सोलर फ्लेयर्स (सूर्य पर होने वाले विस्फोट से निकले कण) बहुत आम हैं, यह हर समय होता रहता है. यह तब होता है जब सूर्य 11 साल के चक्र की अपनी गतिविधि के चरम पर पहुंच जाता है. हर 11 साल बाद सूर्य की सक्रियता ऊंचाई से नीचे की ओर जाती है और 2025 में यह एक्टिविटी अपने चरम पर होने वाली है. इस समय सोलर फ्लेयर्स के निकलने की संभावना अधिक है. ये प्लाज्मा के अत्यधिक आवेशित कण हैं जो बहुत उच्च वेग से यात्रा कर सकते हैं. ये कण जितनी तेजी से आगे बढ़ते हैं, वे उतने ही खतरनाक होते हैं .चूंकि ये सूर्य से काफी तेज गति से पृथ्वी की ओर आते हैं इसलिए ये धरती की चुंबकीय क्षेत्र में दाखिल हो जाते हैं. सौर तूफानों के ये कण पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में आ जाते हैं और इससे आसमान में अरोरा (रंगीन आकाश) दिखता है."

सौर तूफान के पृथ्वी पर टकराने के बाद भारत के लद्दाख में स्टेबल ऑरोरल आर्क (एसएआर), एक दुर्लभ लाल रंग का औरोरा, हनले डार्क स्काई रिजर्व में देखा गया.  

फोटो- पीटीआई

सूर्य की रोशनी के साथ कई तरह की तरंगें और मैग्नेटिक फील्ड होते हैं, लेकिन पृथ्वी की बाहरी परत होने की वजह से कई तरंगें धरती तक नहीं आ पाती हैं.

फोटो- एक्सेस्ड बाई क्विंट हिंदी

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सोलर फ्लेयर्स या कहे सौर तूफान में कई तरह के रेडियेशन और एक्सरे होते हैं. ये रेडियेशन और एक्सरे धरती की सबसे ऊपरी वायुमंडल आयनोस्फेयर पर ही रुक जाते हैं, लेकिन कई बार सोलर फ्लेयर का रेडियेशन इतना तेज होता हैं कि आयनोस्फेयर भी चार्ज हो जाता है. इसका नुकसान ये होता है कि इससे सैटेलाइन और शॉर्ट वेब कम्यूनिकेशन का काफी नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है.

फोटो- PTI

सूर्य एक आग का गोला है, इसका तापमान असीम है. इसके भीतर असंख्य गतिविधियां होती रहती हैं. इसके भीतर कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्रीफ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियां होती रहती हैं

फोटो- NASA

सूर्य की मैग्‍नेटिक फील्‍ड मुड़ती या बदलती रहती है, इस वजह से भारी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, इसमें पार्टिकल्स होते हैं और इससे रोशनी निकलती है उसे सोलर फ्लेयर्स कहा जाता है.

फोटो- NASA/GSFC/SDO

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