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Uttarkashi: "आज रात तक आ सकती है खुशखबरी", मजदूर बस 12 मीटर दूर- रेस्क्यू जारी

Uttarkashi Tunnel: राहत-बचाव कार्य का जयाजा लेने के लिए मुख्यमंत्री धामी उत्तरकाशी के लिए रवाना हो गए हैं.

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Uttarkashi: "आज रात तक आ सकती है खुशखबरी", मजदूर बस 12 मीटर दूर- रेस्क्यू जारी

(फोटो- पीटीआई)

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उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel Collapse) की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को 11 दिन हो गए हैं. मजदूरों को बाहर निकालने का काम तेजी से जारी है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 12 मीटर ड्रिलिंग का काम बचा है. रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे अधिकारियों ने बुधवार, 22 नवंबर को बताया कि रात साढ़े 11 बजे तक बड़ी खबर आने की उम्मीद है. अनुमान के मुताबिक, सभी मजदूर 57 मीटर नीचे फंसे हुए हैं. वहीं राहत-बचाव कार्य का जयाजा लेने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देहरादून से उत्तरकाशी के लिए हवाई मार्ग से रवाना हो गए हैं.

प्रधानमंत्री ऑफिस के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 67 प्रतिशत ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, "मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हम छह मीटर और आगे बढ़े हैं. उम्मीद है कि अगले दो घंटों में, जब हम अगले चरण की तैयारी करेंगे, हम शेष काम (समाप्त) करने में सक्षम होंगे."

(फोटो- पीटीआई)

इससे पहले रेस्क्यू ऑपरेशन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जानकारी देते हुए कहा, "सिलक्यारा टनल में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी से कार्य किया जा रहा है, इस सम्बन्ध में निरंतर अधिकारियों से संपर्क में हूं. ऑगर मशीन से पुनः कार्य आरंभ करते हुए कुल 45 मीटर तक ड्रिलिंग पूरी कर ली गई है."

(फोटो- पीटीआई)

वहीं राहत-बचाव कार्य का जयाजा लेने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देहरादून से उत्तरकाशी के लिए रवाना हवाई मार्ग से रवाना हो गए हैं.

(फोटो- पीटीआई)

इससे पहले उत्तराखंड सड़क एवं परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी महमूद अहमद ने कहा, "मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि 39 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है. अनुमान से पता चलता है कि मजदूर 57 मीटर नीचे फंसे हुए हैं, इसलिए केवल 18 मीटर ही बचा है." उनके इस बयान के बाद से रेस्क्यू का काम और आगे बढ़ चुका है.

(फोटो- पीटीआई)

महमूद अहमद ने ये भी बताया कि, "यह हमारे लिए बहुत खुशी की खबर है कि हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं." हालांकि उन्होंने चेतावनी भी जारी की कि बचा हुआ रेस्क्यू सबसे महत्वपूर्ण है. मलबे के गिरने के साथ-साथ भारी-ड्रिलिंग मशीनों के बार-बार खराब होने के कारण बचाव प्रयास धीमा और जटिल हो जाता है.

(फोटो- पीटीआई)

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अधिकारी ने बताया कि, "अगर कोई मुश्किल नहीं आई तो आज रात या कल सुबह तक कोई बड़ी खबर मिल सकती है. वहीं मलबे के साथ एक लोहे की रॉड भी बीच में आई है. हमें खुशी है कि इस (रॉड) ने हमारे लिए कोई समस्या पैदा नहीं की..."

(फोटो- पीटीआई)

ONGC सहित पांच सरकारी एजेंसियों को इस रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया है. इसके साथ ही वैकल्पिक निकास मार्ग के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए भी कहा गया है.

(फोटो- पीटीआई)

बीआरओ के मेजर नमन नरूला ने कहा, "वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए हमें एक्सेस सड़क बनाना था जिसमें हमें 1150 मीटर का ट्रैक बनाना था जो कि हमने 20 तारीख को बना दिया था. इस ट्रैक के अंतिम छोर पर दो वर्टिकल ड्रिलिंग होने हैं जिसके लिए दो ड्रिलिंग मशीन पहुंचनी थी जिसमें से एक पहुंच चुकी है. हमें एक और एक्सेस सड़क बड़कोट से बनानी थी जो टनल का दूसरा साइड है, उसका सर्वे हमारा कल पूरा हुआ है. हमारी मशीनरी वहां पहुंच चुकी है ताकि अगर जरूरत पड़ी तो हम वहां पर आज से काम शुरू कर सके."

(फोटो- पीटीआई)

फंसे हुए 41मजदूरों में से 15 झारखंड के गिरिडीह, रांची, पूर्वी सिंहभूम, खूंटी जिले से हैं. रेस्क्यू के बाद सभी 15 मजदूरों को विमान से देहरादून से रांची लाया जाएगा.

(फोटो- पीटीआई)

बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर उत्तराखंड सीएम से बात की थी. इसके साथ ही हर संभव मदद का भरोसा भी जताया था.

(फोटो- पीटीआई)

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