बाघों के संरक्षण और जागरूकता के लिए हर साल 29 जुलाई वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में बाघों की संख्या 2014 के मुकाबले 2018 में काफी बढ़ी है. उन्होंने यहां अपने आधिकारिक आवास पर ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन के चौथे चक्र के परिणाम जारी करते हुए कहा, "भारत में 2014 में जहां बाघों की संख्या 2,226 थी, वहीं अब 2018 में यह आंकड़ा 2,967 हो गया है."

पीएम मोदी ने अपने अंदाज में ये भी कहा कि हम अब एक था टाइगर से टाइगर जिंदा है तक पहुंच गए हैं.

भारत में 2014 में जहां बाघों की संख्या 2,226 थी, वहीं अब 2018 में यह आंकड़ा 2,967 हो गया है(ग्राफिक्स: द क्विंट)

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "9 साल पहले, सेंट पीटर्सबर्ग में निर्णय लेकर साल 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था. भारत में हमने यह लक्ष्य चार साल पहले पूरा कर लिया." उन्होंने आगे कहा, "घोषित किए गए बाघ जनगणना के परिणामों से हर भारतीय को और हर प्रकृति प्रेमी को खुशी मिलेगी."

इंडिया टाइगर एस्टिमेट 2010 के अनुसार, 2010 में बाघों की आबादी अनुमानित रूप से 1,706 थी, जबकि 2006 में यs 1,411 रही थी. संरक्षण की कोशिशों के बाद बाघों की आबादी 2014 में बढ़कर 2,226 हुई और 2018 में 2,967 पहुंच गई.

इसी दिन पर वाइल्ड फोटोग्राफर मृत्युंज्य तिवारी आपके लिए बाघों की कुछ शानदार तस्वीरें लेकर आए हैं.

टाइगर हमेशा अपने शिकार की तलाश में रहते हैं. यह यंग टाइगर भी अपने शिकार के पीछे दौड़ लगा रहा है.(फोटो:मृत्युंजय तिवारी)

मृत्युंजय कहते हैं कि जंगल में टाइगर को देखना आकर्षक है और उनकी फोटो खींचना एक अलग एक्सपीरियंस है.

एक बाघिन ने हिरन के बच्चे का शिकार किया...(फोटो:मृत्युंजय तिवारी)

टाइगर के कारण मुख्य रूप से वाइल्ड लाइफ टूरिज्म में बढ़ोतरी हुई है. ये इस तथ्य से साफ है कि भारत के प्राइम टाइगर रिजर्व्स के लिए टूरिज्म स्लॉट ऑनलाइन बुकिंग विंडो के खुलने के कुछ ही मिनटों में भर जाते हैं. अपनी यात्रा के दौरान, मैं सबसे ज्यादा उस बात से डरा कि माता-पिता अपने बच्चों को चिड़ियाघर से ज्यादा जंगल में टाइगर दिखाना ज्यादा पसंद करते हैं.

शेरों की तुलना में बाघ एकान्त शिकारी होते हैं. उनके शिकार के दस प्रयासों में से केवल एक ही सफल होता है.(फोटो:मृत्युंजय तिवारी)
एक वयस्क बाघ एक बार में 30 किलो मांस खा सकता है और एक सप्ताह तक भोजन के बिना भी जा सकता है (फोटो:मृत्युंजय तिवारी)
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बाघों की मौत चिंता की बात

मृत्युंजय का कहना है कि सिर्फ 2016 में ही 122 बाघों की मौत हुई. जंगलों में अवैध तौर पर अतिक्रमण बढ़ गया है. हालांकि, अवैध शिकार इसके मुकाबले कम हुआ है.

सिर्फ 2016 में ही 122 बाघों की मौत हुई. (फोटो:मृत्युंजय तिवारी)
टाइगर दलदली भूमि से लेकर पहाड़ों तक, विभिन्न वातावरणों में जीवित रह सकते हैं (फोटो:मृत्युंजय तिवारी)

एक नागरिक के तौर पर हम भी बाघों की आबादी बढ़ाने के कोशिशों में योगदान दे सकते हैं. हम जंगल के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देकर, टाइगर रिजर्व मैनेजमेंट की आंख और कान बनकर उनकी मदद कर सकते हैं, ताकि हम जानवरों को अवैध शिकार,अतिक्रमण से बचा सकें.

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