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2020 में इंडियन जुडिशरी के उतार-चढ़ाव, फैसलों को लेकर मतभेद

पॉडकास्ट में जानिए कैसा रहा 2020 भारत की न्यायपालिकाओं के लिए.

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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पॉडकास्ट में जानिए कैसा रहा 2020 भारत की न्यायपालिकाओं के लिए.
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पॉडकास्ट में जानिए कैसा रहा 2020 भारत की न्यायपालिकाओं के लिए.
(फोटो: अरूप मिश्रा/क्विंट हिंदी) 

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रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज

2020 में कोरोना वायरस के अलावा भी काफी कुछ ऐसा हुआ, जिसे आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा. इंडियन जुडिशियरी में इस साल कई ऐसे चीजें हुईं, जिन्हें लेकर आगे जरूर चर्चा होगी. फिर चाहे वो प्रशांत भूषण के दो ट्वीट्स को लेकर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट वाला मामला हो या फिर ऐसे मामले जिन पर कोर्ट ने उस तरह से काम नहीं किया, जैसी उम्मीद थी. कई मामलों में हाईकोर्ट के फैसले सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से बेहतर दिखे और दोनों के किसी भी केस को समझने के तरीकों में फर्क नजर आया. कई जरूरी मामलों पर देरी से सुनवाई हुई और कई गैरजरूरी मामलों को ज्यादा अहमियत दी गई.

कुल मिलाकर ये साल इंडियन जुडिशियरी के लिए काफी चुनौतीभरा रहा. 2020 में हुए कुछ अहम और बड़े मामलों की रौशनी में आज भारत के कोर्ट्स की परफॉर्मेंस पर बात करेंगे. मसलन CAA विरोध प्रदर्शन हो या कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने से संबंधित याचिकाएं हों, प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर याचिकाएं हो या नफरत फैलाने वाले टीवी चैनेल्स के खिलाफ कोई लीगल स्टैंड लेना हो. इन केसेस ने भारत की जुडिशियरी के तरीकों को समझने का मौका दिया है. अब ये तरीके सही हैं या गलत, इन्ही पर आज इस पॉडकास्ट में बात करेंगे.

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