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पॉडकास्ट। प्रदूषण और सियासत से बेहाल क्या दिल्ली रहने लायक भी है?

हर साल तकरीबन इसी महीने में दिल्ली परेशान रहती है, प्रदूषण से और साथ ही प्रदूषण पर होने वाली सियासत.

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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बोहोत सारे लोग आँखों में जलन, छाती में दर्द, खांसी की भी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन ये सिम्पटम्स ज़हरीली हवा में सांस लेने  से हो रहे हैं.
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बोहोत सारे लोग आँखों में जलन, छाती में दर्द, खांसी की भी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन ये सिम्पटम्स ज़हरीली हवा में सांस लेने से हो रहे हैं.
फोटो: क्विंट हिंदी 

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हर साल तकरीबन इसी महीने में दिल्ली परेशान रहती है, प्रदूषण से और साथ ही प्रदूषण पर होने वाली सियासत. चारों तरफ फैले हुए प्रदूषण की इस चादर की तीन बड़ी वजह चर्चा में है- पहली, दिवाली की रात दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हुई आतिशबाजी, दूसरा पंजाब-हरियाणा जैसे राज्यों में किसानों का लगातार पराली जलाना और तीसरा गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ. आज ही यानी 4 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से पूछा कि आखिर दिल्ली में ऐसा ही क्यों होता है? सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हर साल दिल्ली चोक हो जाती है, लेकिन हम कुछ भी नहीं कर पाते हैं. कोर्ट ने प्रदूषण और पराली जलाने के मामले में पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों को कोर्ट में पेश होने को कहा है.

इस बीच एक नया सर्वे भी सामने आया है. इस सर्वे के मुताबिक, दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले 40 फीसदी से अधिक लोग खराब हवा के कारण दूसरे शहर में जाना चाहते हैं.

ऐसे में प्रदूषण के हाहाकर और इस पर हो रही है सियासत से जुड़ी तमाम बातों पर बात करेंगे बिग स्टोरी पॉडकास्ट में.

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