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1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश किया. भारत का ये बजट ऐसे वक्त में आया है जब हम एक वैश्विक महामारी का सामना करके बाहर निकल रहे हैं, अर्थव्यवस्था नेगेटिव ग्रोथ में हैं और हम तकनीकी रूप से मंदी में हैं. दूसरी तरफ कई सारे लोगों की नौकरियां गई हैं, सैलरी कट हुआ है और कई लोग कम सैलरी पर काम करने के लिए मजबूर हैं. वहीं देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. तो सवाल ये है कि क्या ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जो बजट वित्त मंत्री ने पेश किया है क्या वो जरूरत के मुताबिक सही है?
और एग्रेसिव प्राइवेटाइजेशन के मुद्दे पर सरकार की आलोचना विपक्ष से लेकर सोशल मीडिया में होती रही. जिस वक्त हम ये पॉडकास्ट रिकॉर्ड कर रहे हैं तब तक बजट के फाइनप्रिंट लोगों तक पहुंच चुके हैं. अब तस्वीर साफ हो चुकी है कि सरकार कहां से कितना पैसा जुटाने वाली है और कहां कितना पैसा खर्च करने वाली है. पिछले साल के मुकाबले सरकारी खर्च वाकई में कितना बढ़ा है?
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