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दिल्ली चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने कमर कस लिया है. चुनाव तीनों ही पार्टियों के लिए बेहद अहम है क्योंकि आम आदमी पार्टी को अपनी सत्ता बचानी है, झारखंड में मिली हार के बाद बीजेपी को अपनी साख बचानी है वहीं कांग्रेस को दिखाना है कि वो भी रेस में है. ये चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब देशभर में प्रदर्शन चल रहे हैं, नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ.
अब CAA यानी नागरिकता कानून दिल्ली चुनाव के लिए इतना अहम क्यों है? इसकी बड़ी वजह ये है कि CAA को लेकर सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम समुदाय के लोगों में देखा जा रहा है. अब ये मुस्लिम समुदाय के लोग जब अपना वोट करेंगे तो उनके जेहन में नागरिकता कानून जरूर होगा. मौजूदा हालात में स्थिति ये है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच स्पर्धा है. आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली में मुसलमानों की आबादी करीब 13 फीसदी है लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों में यह अलग-अलग है. जिलों के हिसाब से सेंट्रल दिल्ली में मुसलमानों की आबादी 33.4 फीसदी है तो उत्तर पूर्व दिल्ली में 29.3 फीसदी वहीं दक्षिण दिल्ली में ये 5 फीसदी से भी कम है.
आज बिग स्टोरी में बात करेंगे क्विंट के पॉलिटिकल एडिटर आदित्य मेनन से अलग-अलग सीटों के समीकरण पर.
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