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चुनावों ने दिखाई जम्मू-कश्मीर पॉलिटिक्स की कौन सी तस्वीर?

कश्मीर में इन चुनावों के मायने क्या हैं? जानिए पॉडकास्ट में. 

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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नई यूनियन टेरिटरी बनने के बाद कश्मीर में DDC चुनावों के मायने क्या हैं?
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नई यूनियन टेरिटरी बनने के बाद कश्मीर में DDC चुनावों के मायने क्या हैं?
फोटो: क्विंट हिंदी/अर्निका कला 

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रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कई चीजें लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हो पाईं, लेकिन इन तमाम विवादों के बाद आखिरकार पहला बड़ा चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुआ. जिला विकास परिषद यानी डीडीसी चुनावों के नतीजे घोषित हो चुके हैं. इसमें कश्मीर और जम्मू की 280 सीटों पर चुनाव हुए. साथ ही  2,178 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई. मुकाबला बीजेपी और फारूक अब्दुल्लाह के नेतृत्व में बने पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) के बीच था. जहां जम्मू रीजन में बीजेपी बाजी मारने में कामयाब रही, वहीं कश्मीर घाटी में गुपकार गठबंधन का दबदबा कायम रहा.

ये तो हो गई डीडीसी चुनाव की खबर लेकिन पूरी पिक्चर इसके मुख्य पहलुओं को समझने के बाद ही साफ होगी. मसलन, एक नई यूनियन टेरिटरी बनने के बाद कश्मीर में इन चुनावों के मायने क्या हैं? गुपकार के लिए कश्मीर में ये चुनाव जीतने का क्या मतलब है? और बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन गठबंधन का मुकाबला उस तरह नहीं कर पाई, क्या ये बीजेपी की जीत है या फिर इसे हार माना जाएगा? इन सभी बातों को समझेंगे आज इस पॉडकास्ट में.

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